हरित क्रांति 2.0 : भारतीय कृषि को संधारणीय बनाने की रणनीति
जनवरी 2022 में आरबीआई (RBI) द्वारा जारी किए गए ‘भारतीय कृषिः उपलब्धियां एवं चुनौतियां’ (Indian Agriculture Achievements and Challenges) नामक आलेख में कहा गया है कि कृषि को अधिक जलवायु-प्रतिरोधी एवं पर्यावरणीय रूप से धारणीय बनाने के लिए भारत को दूसरी हरित क्रांति (Green Revolution 2.0) की आवश्यकता है।
- चावल, गेहूं एवं गन्ने जैसी फसलों के अत्यधिक उत्पादन से भूजल स्तर में तेजी से कमी आई है, मृदा का क्षरण हुआ है एवं व्यापक स्तर पर वायु प्रदूषण हुआ है।
संधारणीय बनाने की रणनीति
- पंचामृत: कृषि क्षेत्र में भारत के ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन का लगभग 14% हिस्सा है। COP26 के ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 रिवर इंटरलिंकिंग: मुद्दे एवं लाभ
- 2 जल सुरक्षा की आवश्यकता
- 3 प्राकृतिक संसाधान प्रबंधान
- 4 जीरो बजट नेचुरल फ़ार्मिंग
- 5 भारत में कृषि विपणन प्रणाली: चुनातियाँ वं उपाय
- 6 कृषि में नवीन प्रौद्योगिकी
- 7 भारत में कृषि सब्सिडी: महत्व एवं मुद्दे
- 8 भारत में परिशुद्धता कृषि: चुनौतियां एवं उपाय
- 9 कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव एवं समाधान
- 10 क्रिप्टोकरेंसी नियामक ढांचा
मुख्य विशेष
- 1 नाभिकीय ऊर्जा : प्रासंगिकता एवं उत्पादन परिदृश्य
- 2 क्लाइमेट-स्मार्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप
- 3 फ्लाई ऐश : संबद्ध मुद्दे, उपयोगिता तथा विनियमन
- 4 जलवायु परिवर्तन एवं नैतिकता
- 5 भारत में भूतापीय ऊर्जा: लाभ एवं उत्पादन संबंधी चुनौतियां
- 6 सकल पर्यावरण उत्पाद : निहितार्थ तथा मुद्दे
- 7 सतत विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण
- 8 कृषि निर्यात को बढ़ावा : चुनौतियां एवं सरकार के कदम