जीरो बजट नेचुरल फ़ार्मिंग
कृषि की इस पद्धति में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं किया जाता है। इस पद्धति में प्राकृतिक आगतों का उपयोग कर कृषि कार्य किया जाता है। इस कारण इस कृषि पद्धति में खर्च लगभग शून्य हो जाता है।
- वर्तमान समय में शून्य बजट प्राकृतिक कृषि (Zero Budget Natural Farming) को प्रचलित करने में सुभाष पालेकर की महत्त्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। उन्होंने इसे 1990 के दशक में इसे हरित क्रांति के विकल्प के रूप में विकसित किया।
- शून्य बजट प्राकृतिक कृषि में पालतू पशुओं के गोबर, मल-मूत्र आदि को किण्वित करके उपयोग में लाया जाता है। इससे मिट्टी में सूक्ष्म जीवों को ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 रिवर इंटरलिंकिंग: मुद्दे एवं लाभ
- 2 जल सुरक्षा की आवश्यकता
- 3 प्राकृतिक संसाधान प्रबंधान
- 4 भारत में कृषि विपणन प्रणाली: चुनातियाँ वं उपाय
- 5 कृषि में नवीन प्रौद्योगिकी
- 6 भारत में कृषि सब्सिडी: महत्व एवं मुद्दे
- 7 भारत में परिशुद्धता कृषि: चुनौतियां एवं उपाय
- 8 कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव एवं समाधान
- 9 क्रिप्टोकरेंसी नियामक ढांचा
- 10 क्वांटम प्रौद्योगिकी: महत्व एवं इसके अनुप्रयोग