चक्रीय अर्थव्यवस्था वाले विश्व की रचना
जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पदार्थों का वार्षिक वैश्विक निष्कर्षण 22 अरब टन (1970) से बढ़कर 70 अरब टन (2010) हो गया है, और वर्ष 2070 तक इसके लगभग दोगुना होने की संभावना है।
- वर्ष 2023 के आरंभिक 8 महीनों से भी कम समय में ही मानव जाति की पर्यावरणीय संसाधनों एवं सेवाओं की मांग 1 वर्ष में पृथ्वी द्वारा पुनर्जीवित की जा सकने वाली क्षमता से अधिक हो गई है।
- ‘सर्कुलरिटी’ की संकल्पना के तहत उत्पादों के पुनः उपयोग को बढ़ावा दिया जाता है। इसके तहत संसाधनों का उपयोग उच्चतम उपयोगिता पर लंबे समय तक ....
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- 1 भारतीय वन रिपोर्ट से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु
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- 10 मछुआरों के लिए इसरो के उपयोगी मोबाइल ऐप
पत्रिका सार
- 1 जी20: पृथ्वी, लोग, शांति और समृद्धि के लिए
- 2 भाषिणी ऐपः भाषा विविधाता जनित डिजिटल अंतराल को पाटने वाला सेतु
- 3 जी20 सम्मेलन: भारत का बढ़ता वैश्विक प्रभाव
- 4 स्थाई भविष्य का रोडमैपः हरित विकास समझौता
- 5 डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और सार्वजनिक भागीदारी
- 6 डिजिटल अर्थव्यवस्था में सुरक्षा और विश्वास का निर्माण
- 7 कृत्रिम बुद्धिमता (AI) का जिम्मेदार उपयोगः नैतिकता के साथ नवोन्मेषण
- 8 भारत में ऊर्जा की विकास यात्र
- 9 ग्रामीण भारत में खेल प्रतिभा को बढ़ावा
- 10 स्वास्थ्य सेवा में प्रतिभाओं का विकास करना
- 11 सूक्ष्म उद्यमिता को प्रोत्साहन
- 12 ग्रामीण शिक्षा और शिक्षकों की क्षमता निर्माण में प्रौद्योगिकी का एकीकरण
- 13 प्रतिभाओं की खोज के लिए डाक नेटवर्क
- 14 ग्रामीण उद्यमों की स्थिरताः अवसर व चुनौतियाँ
- 15 3-डी प्रिंटिंग
- 16 एम. एस. स्वामीनाथन