वाराणसी में गंगा को प्रदूषण-मुक्त करना
- सीवेज प्रबंधन में वाराणसी की वर्तमान और भविष्य की स्थिति क्या है? – वाराणसी में प्रतिदिन लगभग 300 एमएलडी सीवेज उत्पन्न होता है, जो 2030 तक 390 एमएलडी तक बढ़ने की संभावना है
- वाराणसी के मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) कितनी क्षमता का सीवेज उपचार कर रहे हैं? – 102 एमएलडी
- नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट कहाँ बनाए जा रहे हैं और उनकी क्षमता क्या है? – दीनापुर में 140 एमएलडी और गोइठा में 120 एमएलडी, रामना में 50 एमएलडी
- वाराणसी में इंटरसेप्टर सीवेज का उद्देश्य क्या है? – वरुणा और अस्सी नदियों से सीवेज को गंगा में बहने से रोकना ....
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पत्रिका सार
- 1 स्वच्छ भारत अभियान : ग्रामीण स्वच्छता पर प्रभाव और सतत स्वच्छता हेतु व्यापक दृष्टिकोण
- 2 स्वच्छता को संस्थागत बनाने के लिए विशेष अभियान 4.0
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- 10 कुपोषण से निपटने में पारंपरिक और स्वदेशी ज्ञान की भूमिका
- 11 पर्यावरण अनुकूल खेती से समग्र स्वास्थ्य
- 12 भारत की स्वास्थ्य प्रणाली के लिए भावी सुधार
- 13 अपशिष्ट प्रबंधन सुधारों के माध्यम से स्वास्थ्य प्रभावों का आकलन
- 14 शहरों में शून्य-अपशिष्ट रणनीतियां
- 15 गर्भावस्था पूर्व देखभाल
- 16 डिजिटल तकनीक के साथ स्वास्थ्य-टेक स्टार्टअप क्रांति
- 17 स्वास्थ्य और पोषण में सामाजिक उद्यमिता
- 18 भारत को सशक्त बनाती कुछ नवीन वैज्ञानिक पहलें
- 19 भारत में ईवी क्रांति
- 20 डेंगू का बढ़ता प्रसार और संभावित उपचार
- 21 नई तकनीकों से बदलेगी कैंसर के इलाज की तस्वीर
- 22 जंतु द्वारा मीथेन उत्सर्जन का जलवायु परिवर्तन से संबंध
- 23 पठाणि सामंत : भारत के गुमनाम मगर उत्कृष्ट खगोल वैज्ञानिक
- 24 स्वास्थ्य सेवा सुधार में उपयोगी कृत्रिम बुद्धिमत्ता
- 25 बांधों की सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण
- 26 स्वस्तिक : भारतीय पारंपरिक ज्ञान को समाज से जोड़ने की एक राष्ट्रीय पहल