सोशल मीडिया और सिविल सेवक
भारतीय नौकरशाही आज डेस्क के साथ से डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर भी सक्रिय हो रही हो रही हैं। इस परिवर्तन के लिए न केवल ई-ऑफिस और ई-गवर्नेंस की ओर कदम शामिल है, बल्कि डिजिटल वातावरण, विशेष रूप से सोशल मीडिया के उपयोग के लिए संगठनात्मक और नौकरशाही प्रतिक्रिया भी शामिल है।
- यह देखा गया है कि कई अधिकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग समाज के कल्याण के लिए करने के बजाय व्यक्तिगत प्रसिद्धि और जीवनशैली के प्रदर्शन के लिए कर रहे हैं।
- जब भारत में सिविल सेवकों द्वारा सोशल मीडिया का उपयोग करने की बात आती है, तो कई नैतिक चिंताएं हैं, जिन ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 गांधीवादी नैतिकता एवं इसकी प्रासंगिकता
- 2 सुशासन में पारदर्शिता का महत्व
- 3 लोक सेवा में सत्यनिष्ठा की भूमिका
- 4 सिविल सेवा में भावनात्मक बुद्धिमत्ता की भूमिका
- 5 सहभागी, समावेशी एवं धारणीय कॉर्पोरेट गवर्नेंस: महत्व एवं मुद्दे
- 6 भगवान महावीर की शिक्षाएं: वर्तमान में प्रासंगिकता
- 7 लोक सेवा में मूल्य एवं इसका महत्व
- 8 मानव जीन एडिटिंग: नैतिक मुद्दे एवं समाधान
- 9 वर्तमान वैश्विक चुनौतियों से व्युत्पन्न नैतिक मुद्दे
- 10 वर्तमान परिदृश्य में व्यावसायिक नैतिकता