शहरी मध्य वर्ग, भारत के रूपांतरण की कुंजी है
विजेता- नुपुर कुमारी, देवघर (झारखंड)
भारतीय अर्थव्यवस्था अब गरीबी के लबादे से निकलकर तेजी से मध्य वर्ग की आबादी की ओर शिरकत कर रही है। इस शिरकत की बानगी हमें भारतीय विज्ञापनों, सिनेमा, ओटीटी प्लेटफॉर्म ही नहीं बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी साफ नजर आएगी। अपने-अपने तरीके से सभी बाजार शहरी मध्य वर्ग को लुभाते नजर आएंगे। ऐसा हो भी क्यों न, वर्ष 2017 के नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2025-26 तक भारत में मध्य वर्ग की आबादी वर्ष 2015-16 के स्तर से दोगुनी से अधिक बढ़कर 547 मिलियन ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 केवल इसलिए कि आपके पास विकल्प है इसका अर्थ यह कदापि नही की उनमे से कोई एक ठीक होगा ही - डॉ. श्याम सुंदर पाठक
- 2 जीवन, स्वयं को अर्थपूर्ण बनाने का अवसर है
- 3 क्या हम सभ्यता के पतन की राह पर हैं?
- 4 क्या अधिक मूल्यवान है, बुद्धिमत्ता या चेतना?
- 5 कौशल विकास के माध्यम से ग्रामीण भारत का रूपांतरण
- 6 सार्वजनिक नीति निर्माण में महिलाओं की भागीदारी की आवश्यकता
- 7 विकास जैसी गतिशील प्रक्रिया में मानवाधिकार, मूल्यवान मार्गदर्शक हैं
- 8 ओटीटी प्लेटफार्मः विनियमन बनाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- 9 क्या 21वीं सदी के नेटिज़ेंस के लिए गोपनीयता एक भ्रम है?
- 10 सद्भावना ही एकमात्र ऐसी संपत्ति है जिसे प्रतिस्पर्धा कम या नष्ट नहीं कर सकती