आर्कटिक पर्माप्रफ्रॉस्ट पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव

आईपीसीसी की नवीनतम आकलन रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से आर्कटिक पर्माफ्रॉस्ट (Arctic permafrost) में कमी आएगी और जमीन के विगलन (thwaing) से मीथेन और कार्बन डाइ-ऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की सम्भावना है।

महत्वपूर्ण तथ्यः पर्माफ्रॉस्ट को ऐसी भूमि (मिट्टी, चट्टान और किसी भी शामिल बर्फ या कार्बनिक पदार्थ) के रूप में परिभाषित किया गया है, जो लगातार कम से कम दो वर्षों तक शून्य डिग्री सेल्सियस पर या उससे नीचे रहता है।

  • पर्माफ्रॉस्ट 23 मिलियन वर्ग किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र में फैला हुआ है, जो दुनिया के लगभग 15% भूमि क्षेत्र को कवर ....
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