भारत द्वारा रोहिंग्या शरणार्थियों को मानवीय राहत प्रदान की गई है, तथापि भारत ने सुरक्षा कारणों से लगभग 40,000 रोहिंग्याओं को निर्वासित करने की योजना निर्मित की है। भारत के इस कदम का न केवल संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार समूहों, बल्कि म्यांमार के चरम राष्ट्रवादियों द्वारा भी विरोध किया जा रहा है।