भारतीय सेना द्वारा नवम्बर, 1988 में संचालित किया गया था। भारतीय नौसेना भी इस अभियान में सम्मिलित थी। इस अभियान के तहत तमिल उग्रवादियों का दमन किया गया।
नवंबर 1988 में ‘तमिल इलम के पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन’ (प्लोटे) तमिल उग्रवादियों ने मालदीव पर हमला किया।
स्पीडबोट्स के जरिये मालदीव पहुंचे उग्रवादी पर्यटकों के भेष में थे। श्रीलंका में कारोबार करने वाले मालदीव के अब्दुल्लाह लथुफी ने उग्रवादियों के साथ मिलकर तख्ता पलट की योजना बनाई थी। पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नसीर पर भी साजिश में शामिल होने का आरोप था।
3 नवंबर, 1988 की रात को भारतीय वायुसेना की आगरा पैरासूट रेजीमेंट की छठी बटालियन ने मालदीव से 2000 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरी।
इस टुकड़ी ने हुलहुल में लैंड किया और माले में घंटे भर के भीतर तब के राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम की सरकार को बहाल कर दिया। इस अभियान को ‘ऑपरेशन कैक्टस’ नाम दिया गया, जिसमें भारतीय नौसेना भी शामिल थी।