मई 2022 में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी डेनमार्क यात्रा के दौरान डेनमार्क की महारानी मार्ग्रेथ द्वितीय को एक ‘रोगन पेंटिंग’ (Rogan painting) भेंट की। गुजरात के कच्छ में प्रचलित रोगन चित्रकारी कपड़े पर की जाने वाली एक चित्रकला है।
अरंडी के तेल काइस्तेमाल: रोगन पेंटिंग के लिए कच्छ इलाके में पाई जाने वाली अरंडी के तेल का इस्तेमाल होता है। अरंडी के तेल में प्राकृतिक रंगो को मिलाकर एक पेस्ट तैयार किया जाता है।
कलाकार इस पेस्ट की थोड़ी सी मात्रा को अपनी हथेली पर रखते हैं। कमरे के तापमान पर पेंट को ध्यान से एक धातु की कलम की मदद से कपड़े पर एक निश्चित शैली में घुमाया जाता है। इसके बाद कारीगर अपने डिजायन को कपड़े पर आकार देता है।
ईरान से है संबंध: रोगन पेंटिंग गुजरात के कच्छ जिले में प्रचलित कपड़ा छपाई की एक कला है। इस पेंटिंग का संबंध ईरानी से है। फारसी भाषा में 'रोगन' शब्द का मतलब 'तेल' होता है। ईरानी मूल की यह 'रोगन चित्रकला' लगभग 300 वर्ष पूर्व गुजरात के कच्छ इलाके में आयी थी। रोगन पेंटिंग बनाने की प्रक्रिया बहुत श्रमसाध्य और महीन होती है। यह चित्रकारी सिर्फ सूती व रेशमी वस्त्रों पर की जाती है।