राजकोषीय जवाबदेही एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) कानून 2003
देश की राजकोषीय व्यवस्था में अनुशासन लाने के लिये तथा सरकारी खर्च तथा घाटे जैसे कारकों पर नज़र रखने के लिये राजकोषीय जवाबदेही एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) कानून को वर्ष 2003 में तैयार किया गया था तथा जुलाई 2004 में इसे प्रभाव में लाया गया था।
यह सार्वजनिक कोषों तथा अन्य प्रमुख आर्थिक कारकों पर नज़र रखते हुए बजट प्रबन्धन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एफआरबीएम के माध्यम से देश के राजकोषीय घाटों को नियंत्रण में लाने की कोशिश की गई थी, जिसमें वर्ष 1997-98 के बाद भारी वृद्धि हुई थी।
केन्द्र सरकार ने राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन कानून की नए सिरे से समीक्षा करने और इसकी कार्यकुशलता का पता लगाने के लिये एन. के. सिंह के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था।
एन.के.सिंह समिति ने मौजूदा एफआरबीएम कानून 2003 और एफआरबीएम नियम, 2004 को खत्म कर इसकी जगह नया कर्ज और राजकोषीय उत्तरदायित्व कानून बनाने की सिफारिश भी की है। साथ ही राजकोषीय घाटे का सालाना लक्ष्य तय करने के लिये तीन सदस्यीय राजकोषीय परिषद बनाने का सुझाव भी समिति ने दिया है।