यह संधि वर्ष 1996 में प्रस्तुत की गई थी जिसका उद्देश्य परमाणु परीक्षण को प्रतिबंधित करके परमाणु प्रसार को रोकन था इसके अंतर्गत भूमिगत, जल और आकाश में परमाणु परीक्षण प्रतिबंधित किया गया है। वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्र ने इस संधि के नए स्वरूप को अपनाया जो परमाणु हथियारों के उपयोग, उत्पादन, हस्तांतरण, अधिग्रहण, संग्रहण व तैनाती को अवैध करार देती है। संधि में अंतरराष्ट्रीय डेटा केंद्र के निर्माण की भी व्यवस्था की गयी है। भारत ने व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधिपर हस्ताक्षरकर्ता देश नहीं है।