भारत का जलवायु जोखिम एवं भेद्यता एटलस

जनवरी, 2022 को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के वैज्ञानिकों ने ‘भारत के जलवायु जोखिम और भेद्यता एटलस’ (Climate Hazards and Vulnerability Atlas of India) को जारी किया। इस एटलस को चरम जलवायु परिघटनाओं की स्थानीय आबादी पर पड़ने वाले प्रभाव के आधार पर तैयार किया गया है।

  • वैज्ञानिकों ने यह एटलस अत्यधिक वर्षा, सूखा, शीत लहर, हीटवेव, धूल भरी आंधी, ओलावृष्टि, चक्रवात, बर्फबारी, बिजली, हवाएं और कोहरा सहित 14 चरम जलवायु परिघटनाओं के आधार पर तैयार किया है।
  • इसमें प्रत्येक जिले की अर्थव्यवस्था पर इन चरम जलवायु परिघटनाओं द्वारा होने वाले जोखिमों को भी शामिल किया गया है।
  • वर्तमान में इसके ऑनलाइन संस्करण में कुल मिलाकर 640 मानचित्र उपलब्ध हैं। यह भारतीय जिलों को शून्य, निम्न, मध्यम, उच्च और बहुत उच्च श्रेणियों में जोखिमों और भेद्यता को वर्गीकृत करता है।
  • जलवायु क्षतिपूर्ति (Climate Reparation): जलवायु क्षतिपूर्ति का तात्पर्य, जलवायु परिवर्तन में ‘ग्लोबल नॉर्थ’ के योगदान को ध्यान में रखते हुए ‘ग्लोबल साउथ’ को इसके कुप्रभावों से होने वाले हानि के लिए भुगतान की मांग से है।