डब्लूडब्लूएफ़-यूएनईपी की रिपोर्ट

जुलाई 2021 वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (wwf) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (unep) ने हाल ही में जारी, "A future for all-the need for human-wildlife coexistence" के नाम से एक साझा रिपोर्ट जारी की।

मुख्य बिन्दुः रिपोर्ट के अनुसार, ‘मानव-वन्यजीव संघर्ष दुनिया की अन्य प्रतिष्ठित प्रजातियों के दीर्घकालिक अस्तित्व के लिए मुख्य खतरों में से एक हैं।

  • यह ध्रुवीय भालू, सील और हाथी जैसे विशालकाय शाकाहारी जीवों को भी प्रभावित करता है।
  • इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 35 प्रतिशत बाघ क्षेत्र, अफ्रीकी शरों के 40 प्रतिशत क्षेत्र, और अफ्रीकी एंव एशियाई हाथियों के 70 प्रतिशत क्षेत्र, संरक्षित क्षेत्र से बाहर हैं।
  • इस खूनी संघर्ष के कारण दुनिया की 75 प्रतिशत से ज्यादा जंगली बिल्लियों (wildcats) की प्रजातियां भी प्रभावित हैं।
  • इस संघर्ष के कारण ही 1970 के बाद वैश्विक वन्यजीव गणना में 68 फीसदी तक गिरावट आयी है।

मानव-वन्यजीव संघर्ष के कारण

  • संरक्षित क्षेत्र का अभावः समुद्री और स्थलीय संरक्षित क्षेत्र विश्व स्तर पर केवल 9.67% हिस्से को कवर करते हैं। अफ्रीकी शेर के लगभग 40% और अफ्रीकी एवं एशियाई हाथी रेंज के 70% क्षेत्र संरक्षित क्षेत्रों से बाहर हैं।
  • वर्तमान में भारत के 35% टाइगर रेंज संरक्षित क्षेत्रों से बाहर हैं।
  • वन्यजीव जनित संक्रमणः एक जूनोटिक बीमारी से उत्पन्न कोविड-19 महामारी लोगों के पशुओं और वन्यजीवों के साथ घनिष्ठ जुड़ाव तथा जंगली जानवरों के अनियंत्रित उपभोग से प्रेरित है।
  • जानवरों और लोगों के बीच घनिष्ठ, लगातार तथा विविध संपर्क के चलते पशु रोगाणुओं के लोगों में स्थानांतरित होने की संभावना बढ़ जाती है।