वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक ट्रेंड्स रिपोर्ट (WESO Trends) 2022

जनवरी 2022 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने ‘वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक ट्रेंड्स’ (WESO Trends) 2022 शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की।

  • रिपोर्ट के मुताबिक, रोजगार स्थिति काफी नाजुक बनी हुई है, क्योंकि भविष्य में महामारी को लेकर अनिश्चित स्थिति बनी हुई है।
  • वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक ट्रेंड्स में वर्ष 2022 और वर्ष 2023 के लिये व्यापक श्रम बाजार अनुमान भी शामिल हैं।
  • इस आकलन के अनुसार विश्व में श्रम बाजार में सुधार हुआ है, जो महामारी से उबरने के लिये विभिन्न राष्ट्रीय दृष्टिकोणों को दर्शाता है और श्रमिकों तथा आर्थिक क्षेत्रों के विभिन्न समूहों पर प्रभावों का विश्लेषण करता है।

रिपोर्ट की निष्कर्ष

1. रोजगारः वैश्विक बेरोजगारी वर्ष 2023 तक पूर्व-कोविड-19 स्तरों से ऊपर रहने की आशंका है।

  • वर्ष 2019 के 186 मिलियन की तुलना में वर्ष 2022 में यह 207 मिलियन होने का अनुमान है।

2. वैश्विक कार्य घंटेः वर्ष 2022 में यह उनके पूर्व-महामारी स्तर से लगभग 2: कम होगा, जो कि 52 मिलियन पूर्णकालिक नौकरियों के नुकसान के बराबर है। यह घाटा वर्ष 2021 में ILO के पूर्वानुमान से दोगुना है।

3. वैश्विक श्रम बल भागीदारीः अनुमान के अनुसार वर्ष 2022 में लगभग 40 मिलियन लोग वैश्विक श्रम शक्ति में भाग नहीं लेंगे।

4. क्षेत्रीय अंतरः यह प्रभाव विकासशील देशों के लिये विशेष रूप से गंभीर है, जिन्होंने महामारी से पहले भी उच्च स्तर की असमानता और अधिक भिन्न कार्य परिस्थितियों तथा कमजोर सामाजिक सुरक्षा दायित्त्वों का अनुभव किया था।

  • कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों के पास टीकों की पहुंच कम है और संकट को दूर करने के लिये सरकारी बजट का विस्तार करने की सीमित गुंजाइश है।

5. अन्य प्रभावः रिपोर्ट में श्रमिकों और देशों के समूहों के बीच होने वाले संकट के प्रभाव में भारी अंतर की चेतावनी दी गई है, जबकि विकास की स्थिति की परवाह किये बिना यह लगभग हर राज्य के आर्थिक वित्तीय एवं सामाजिक बनावट को कमजोर कर रहा है। श्रम बलों की घरेलू आय और सामाजिक तथा राजनीतिक सामंजस्य के लिये संभावित दीर्घकालिक परिणामों के साथ क्षतिपूर्ति हेतु अधिक समय की आवश्यकता है।

6. महिलाओं और युवा जनसंख्या पर प्रभावः श्रम बाजार संकट से महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक प्रभावित हुई हैं और यह जारी रहने की संभावना है। शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थानों के बंद होने से युवाओं, खासकर उन लोगों के लिये जिनके पास इंटरनेट नहीं है, दीर्घकालीन प्रभाव पड़ेगा।

7. अपेक्षित रिकवरीः व्यापक श्रम बाजार में सुधार के बिना इस महामारी से कोई वास्तविक रिकवरी नहीं हो सकती है।

  • सतत् रिकवरी संभव है लेकिन यह अच्छे काम के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिये, जिसमें स्वास्थ्य और सुरक्षा, समानता, सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक संवाद शामिल हैं।
  • नए श्रम बाजार का पूर्वानुमान भारत जैसे देश के लिये नीति नियोजन हेतु महत्त्वपूर्ण हो सकता है, जहां अधिकांश काम अनौपचारिक है, ताकि आगे रोजगार संबंधी नुकसान और काम के घंटों में कटौती को रोका जा सके।