अफ़गानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी

अमेरिका ने घोषणा की है कि 11 सितंबर, 2021 को 9/11 हमलों की 20वीं बरसी तक अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों की निकासी हो जाएगी।

  • 11 सितंबर, 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) पर हुए आतंकवादी हमलों के उपरांत अमेरिका द्वारा अपने नाटो सहयोगियों के साथ अलकायदा और अफगानिस्तान में उसे आश्रय एवं समर्थन प्रदान करने वाली तालिबान सरकार के विरुद्ध एक सैन्य अभियान आरंभ किया गया था।

अन्य संबंधित तथ्य

  • अफगानिस्तान में अमेरिका के लगभग 14,000 सैनिक तैनात किए गए हैं, जो अफगानिस्तान में सैन्य अभियानों की निगरानी के लिए अफगान बलों को प्रशिक्षण, परामर्श और सहायता प्रदान करते हैं, ताकि तालिबान समूह के किसी भी पुनरुत्थान को रोका जा सके।
  • अमेरिका द्वारा संचालित यह सैन्य युद्ध लगभग 20 वर्षों से जारी है। इसमें अमेरिका को अत्यधिक मानवीय और आर्थिक हानि हुई है, परन्तु तालिबान पर स्पष्ट विजय प्राप्त नहीं की जा सकी है। अफगानिस्तान में हवाई हमले से मारे गए या घायल हुए नागरिकों की संख्या में प्रतिवर्ष 39 फीसदी की वृद्धि हुई है, जिसमें अधिकांश महिलाएं और बच्चें शामिल हैं।
  • युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में स्थायी शांति स्थापित करने और अमेरिकी सैनिकों को स्वदेश वापसी का विकल्प प्रदान करने के लिए फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के मध्य दोहा में एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
  • अफगानिस्तान में शांति अंतर-अफगान वार्ता की सफलता पर निर्भर है, जो अमेरिका की वापसी के उपरांत अफगानिस्तान के भविष्य को बहुत अनिश्चित बना देती है, जो भारत सहित संपूर्ण क्षेत्र के लिए व्यापक भू-राजनीतिक प्रभाव उत्पन्न कर सकती है।

क्षेत्र के लिए निहितार्थ

गृहयुद्ध का खतराः तालीबान भिन्न-भिन्न क्षेत्रों, जनजातियों और हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न गुटों पर अत्यधिक रूप से निर्भर रहा है। अफगान गृह युद्ध में तालिबान को समर्थन प्रदान करने का उनका एक दीर्घ इतिहास रहा है। हालांकि, उन सभी गुटों ने अमेरिकी नेतृत्व वाले हस्तक्षेप का समर्थन किया है, जिसके परिणामस्वरूप एक नवीन लोकतांत्रिक अफगान सरकार को स्थापित किया जा सकता है।

  • अमेरिका के साथ उनके बिगड़ते संबंधों (रूस और ईरान पर प्रतिबंध, चीन के साथ व्यापार युद्ध आदि) को देखते हुए, यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि स्थापित सामंजस्य अब समाप्त हो जाएगा। इससे क्षेत्र में और उसके आसपास पुनः गृह युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

वैश्विक शरणार्थी संकटः अफगानिस्तान में व्यापक गृह युद्ध की स्थिति के परिणामस्वरूप वर्ष 1979-2002 की अवधि में घटित हुए भीषण अंतर-जातीय हिंसा के समान पुनः अंतर-जातीय संघर्ष को बढ़ावा मिलेगा। परिणामस्वरूप, इससे वैश्विक शरणार्थी संकट की स्थिति में वृद्धि होगी, जो यूरोप तक के क्षेत्रों में सामाजिक सौहार्द और राजनीतिक स्थिरता को बाधित कर सकती है।

सत्ता समीकरण में परिवर्तनः संयुक्त राज्य अमेरिका की सैन्य वापसी के परिणामस्वरूप उत्पन्न शक्ति शून्यता, भौगोलिक दृष्टि से निकटवर्ती शक्तियों की अधिक भागीदारी को बढ़ावा दे सकती है, जो केवल स्वयं के हितों के संरक्षण को प्राथमिकता देते हैं।

आतंकवाद का पुनरुत्थानः इस्लामिक स्टेट अफगानिस्तान में सक्रिय है और ऐसे ही अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में कई अन्य नामित आतंकवादी समूह भविष्य में सक्रिय हो सकते हैं। इस शक्ति शून्यता की स्थिति में आतंकवादी समूहों पर नियंत्रण-दबाव कम होगा, जिससे उन्हें सुदूरवर्ती क्षेत्रों में हमलों की योजना बनाने एवं संपादित करने के लिए अधिक समय, स्थान और संसाधन संबंधी अवसर प्राप्त हो जाएंगे।

  • उदाहरण के लिए, अफगानिस्तान में कुछ सबसे सक्रिय लड़ाका/आतंकवादी समूह मध्य एशियाई मूल के हैं, जैसे कि खुरासान प्रांत स्थित इस्लामिक स्टेट, जिसकी तालिबान के विपरीत व्यापक क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाएं हैं।