इस मजदूरी सहिंता में चार अधिनियमों को समाहित किया गया है जो निम्न है-
न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, मजदूरी संदाय अधिनियम 1936, बोनस संदाय अधिनियम 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976।
इस संहिता की एक मुख्य विशेषता सामान्यक (यूनिवर्सल) न्यूनतम मजदूरी प्रस्तुत करना है। इसके साथ-साथ इसमें इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि केन्द्रीय तथा राज्य सरकारें अपने-अपने सलाहकार बोर्ड का गठन करेगी, जो न्यूनतम मजदूरी के निर्धारण तथा महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने सम्बन्धी उपायों पर सिफारिश प्रस्तुत करेगी।