भारत के विदेश सचिव की नेपाल यात्रा

हाल ही में विदेश सचिव द्वारा दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए नेपाल की यात्रा की।

संबंधों में हालिया परिवर्तन

सीमा विवादः भारत की आपत्ति के बावजूद नेपाल द्वारा एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया गया था। इसमें विवादित क्षेत्र यथा- लिम्पियाधुरा, लिपुलेख तथा कालापानी (उत्तराखंड के भाग) सम्मिलित हैं।

पारंपरिक व्यापार संबंधों की प्रकृति में परिवर्तनः कई लघु तथा मध्यम नेपाली व्यवसायों के लिए चीन के साथ व्यापार करना सरल है। इसका कारण यह है कि भारत के साथ व्यवसाय करने के नियम कठोर हैं।

  • खुली सीमा के बावजूद, जटिल विनियामक आवश्यकताओं (जटिल दस्तावेज, नकद गतिविधियों में कठिनाई इत्यादि) ने दोनों देशों के मध्य आयात-निर्यात को कठिन बना दिया है।

वैचारिक आधारः नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी चीन की पक्षधर है। यह भारत का लगातार विरोध करती रही है। कई अवसरों पर नेपाली कांग्रेस ने भी उनका समर्थन किया है।

चीनी कारकः चीन ने नेपाल के लिए अपनी बंदरगाह सुविधाओं को उपलब्ध कराया है। साथ ही उसने ट्रांस हिमालयन रेलवे तक पहुंच भी प्रदान की है। इससे नेपाल की भारत पर निर्भरता कम होती जा रही है साथ ही नेपाल चीन की बेल्ट एंड रोड पहल से भी जुड़ गया है।

नेपाल की आंतरिक राजनीति में भारत की कथित भूमिकाः वर्ष 2015 में नेपाल के नए संविधान के विरोध में की गई एक अनाधिकारिक अवरोधन को भारत का अस्पष्ट समर्थन प्राप्त था। इससे भी भारतीय विरोधी भावनाओं को बढ़ावा मिला है।