वर्ष 2019 से वर्तमान समय तक जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन ने ‘गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम’ (UAPA) के तहत 1,200 से अधिक मामलों में 2,300 से अधिक लोगों को आरोपित किया है। इनमें से यूएपीए के तहत आरोपित 46 प्रतिशत लोग अभी भी जेल में हैं।
गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 भारत में गैर-कानूनी गतिविधियों वाले संगठनों की कारगर रोकथाम के लिए बनाया गया था।
इस अधिनियम (यूएपीए) के अनुसार यदि कोई राष्ट्र विरोधी आन्दोलन का समर्थन करता है अथवा किसी विदेशी शक्ति द्वारा किये गये भारत के क्षेत्र पर दावे का समर्थन करता है तो वह अपराध माना जाएगा।
यह कानून कुछ संवैधानिक अधिकारों पर ‘उचित’ प्रतिबंध लगाता है, जैसे कि- भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक और हथियारों के बिना एकत्र होने का अधिकार तथा एसोसिएशन या यूनियन बनाने का अधिकार।
किसी संगठन को आतंकवादी संगठन निर्दिष्ट करने के आधार
यदि वह आतंकवादी कार्रवाई करता है या उसमें भाग लेता है,
आतंकवादी घटना को अंजाम देने की तैयारी करता है,
आतंकवाद को बढ़ावा देता है, या
अन्यथा आतंकवादी गतिविधि में शामिल है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में यूएपीए में संशोधन किया गया; यह संशोधन अधिनियम 2019 सरकार को यह अधिकार देता है कि वह उपर्युक्त समान आधारों पर ‘व्यक्तियों’ को भी आतंकवादी निर्दिष्ट कर सकती है।