जनजातीय गौरव दिवस

नवंबर 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर 15 नवंबर को ‘जनजाति गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया।

उद्देश्यः इसका उद्देश्य भारतीय इतिहास और संस्कृति में अनुसूचित जनजातियों के योगदान को सम्मानित करना है।

  • अन्य प्रमुख्य तथ्यः यह दिवस प्रतिवर्ष 15 नवंबर को मनाया जाएगा। यह सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और वीरता, आतिथ्य एवं राष्ट्रीय गौरव के भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए आदिवासियों के प्रयासों को मान्यता देगा।
  • संथाल, तमार, कोल, भील, खासी और मिजो जैसे आदिवासी समुदायों द्वारा कई आंदोलनों से भारत के स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती प्राप्त हुई थी।
  • ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ देश के विभिन्न क्षेत्रों में आदिवासी आंदोलन राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े और पूरे देश में भारतीयों को प्रेरित किया।

बिरसा मुंडा

बिरसा मुंडा को भगवान बिरसा मुंडा या धरती आबा के नाम से भी जाना जाता था। उनका जन्म छोटानागपुर पठार क्षेत्र (झारखंड) के खूंटी जिले में मुंडा जनजाति में हुआ था।

  • बिरसा आदिवासी समाज में सुधार करने के उद्देश्य से उन्होंने लोगों से जादू टोन में विश्वास को त्यागने का आग्रह किया। इसके बजाय प्रार्थना के महत्व, शराब से दूर रहने, भगवान में विश्वास रखने और आचार संहिता का पालन करने पर बल दिया।
  • बिरसा ने स्थानीय अधिकारियों द्वारा आदिवासियों के शोषण और भेदभाव के खिलाफ ‘उलगुलान’ (विद्रोह) या महान विद्रोह (The Great Tumult) नामक एक आंदोलन शुरू किया।
  • इसके परिणामस्वरूप छोटानागपुर काश्तकारी (Chotanagpur Tenancy - CNT) अधिनियम, 1908 पारित हुआ।