भारत-श्रीलंका के मध्य संधि-समझौता

श्रीलंका में भारतीय हितों को प्रोत्साहित करने वाले महत्वपूर्ण कारक श्रीलंकाई गृह-युद्ध पश्चात् मित्रवत संबंध, श्रीलंका में तमिल अल्पसंख्यक लोगों की गरिमा का सम्मान, भारत द्वारा अपने निकटवर्ती पड़ोसियों से मित्रवत व्यवहार, हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा आदि है।

वाणिज्यिक/व्यापार संबंध

भारत, विश्व स्तर पर श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदारी है, जबकि SAARC में श्रीलंका, भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदारी है।

  • निवेश के क्षेत्र में, भारत श्रीलंका के शीर्ष पांच विदेशी निवेशकों में शामिल है। मार्च 2000 में भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते के लागू होने के पश्चात् श्रीलंका और भारत के मध्य व्यापार में तीव्र वृद्धि हुई है।
  • भारत- श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते के तहत कुल व्यापार में 2001-02 से 2016-17 के दौरान कई गुणा की बढ़ोतरी हुई है, जहां वर्ष 2001-02 में कुल व्यापार 671-12 मिलियन अमेरिकी डॉलर था वही 2016-17 में 5185.47 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।

विकासात्मक सहयोग

श्रीलंका, भारत द्वारा प्रदान किए जाने वाले विकास ट्टणों का एक प्रमुख प्राप्तकर्ता देश है1 भारत 67.4 मिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट के माध्यम से, सुनामी से क्षतिग्रस्त कोलम्बो-मटारा रेल लाइन की मरम्मत करवाया।

आर्थिक और अवसंरचना सहयोग

भारत ने त्रिंकोमाली बंदरगाह और तेल टैंक फार्मों तथा कोलंबो के निकट केरावलपिटिया में स्छळ टर्मिनल को विकसित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

  • कोलंबो बंदरगाह पर ईस्ट कंटेनर टर्मिनल विकसित करने के लिए भारत-जापान के मध्य संयुक्त समझौता किया। भारत, जाफना-कोलंबो रेल ट्रैक और अन्य रेलवे लाइनों को अपग्रेड करने, भारत से बिजली आयात के लिए बिजली पारेषण लाइनें प्रदान करने तथा कांकेषनथुराई बंदरगाह के पुनर्निर्माण सहित उत्तरी और पूर्वी प्रांतों में अवसंरचना निर्माण में प्रमुख भागीदार है।

थलाइमन्नार-रामेश्वरम और कोलंबो-तूतीकोरिन

थलाइमन्नार-रामेश्वरम के बीच यात्री नौका सेवाओं को 1983 में तमिल विरोधी दंगों के बाद निलंबित कर दिया गया था, और उसे 2011 में युद्ध के बाद कुछ समय के लिए फिर से शुरू किया गया था लेकिन ये फिर से बंद हो गया। दोनों सरकारों के बीच, थलाइमन्नार-रामेश्वरम और कोलंबो-तूतीकोरिन यात्री नौका सेवा शुरू करने के लिए एक समझौता ज्ञापन वर्तमान में लागू है।

सांस्कृतिक समझौते

लोगों से लोगों के बीच संपर्क और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाने के लिए श्रीलंका बौद्ध सर्किट, रामायण, मुरुगन और शिव शक्ति चिह्नों के माध्यम से दोनों देशों के बीच बौद्ध और हिंदू आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत राष्ट्र रणनीति (आईसीएस) नामक प्रस्ताव पारित किया हैै।

  • यह प्रस्ताव सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए द्विपक्षीय स्तर पर लिए गए हालिया फैसलों के अनुरूप है। वर्ष 2020 में, भारत ने दोनों देशों के बीच बौद्ध संबंधों को बढ़ावा देने के लिए 15 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुदान सहायता प्रदान की। भारत हजारों श्रीलंकाई छात्रों के लिए एक पसंदीदा शिक्षा स्थल रहा है। इस संदर्भ में, यह पत्र भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) और भारत के अन्य निजी विश्वविद्यालयों से छात्रवृत्ति की संख्या में वृद्धि करके, छात्रों के लिए, जिनमें श्रीलंका के बागान क्षेत्र के वंचित छात्र भी शामिल हैं, उच्च शैक्षिक अवसरों को सुरक्षित करने का प्रस्ताव करता है।