व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (PDP) विधेयक, 2019

व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक का उद्देश्य भारत में व्यक्तिगत डेटा संरक्षण को लेकर व्यापक और सार्थक बदलाव लाना है।

भूमिका निर्धारणः इस विधेयक में व्यक्तियों और फर्मों/राज्य संस्थानों के बीच के संबंधों को संहिताबद्ध करने की परिकल्पना की गई है, जिसमें आम नागरिकों को ‘डेटा प्रिंसिपल’ (जिसकी जानकारी एकत्र की गई है) और कंपनियों तथा राज्य संस्थाओं को ‘डेटा फिडड्ढूशरीज’ (डेटा को संसाधित करने वाले) के रूप में परिभाषित किया गया है।

  • गौरतलब है कि यह विधेयक सरकारी और निजी संस्थाओं दोनों पर लागू होता है।

डेटा गोपनीयता

  • इसके तहत संस्थाओं को व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिये सुरक्षा उपायों को अपनाना होगा, साथ ही उन्हें डेटा सुरक्षा दायित्वों और पारदर्शिता तथा जवाबदेही संबंधी नियमों का भी पालन करना होगा।
  • संक्षेप में यह विधेयक उन संस्थाओं की जांच के लिये एक तंत्र प्रदान करता है, जो उपयोगकर्त्ताओं के व्यक्तिगत डेटा को नियंत्रित और संसाधित करती हैं।
  • वर्ष 2017 में एक मजबूत डेटा संरक्षण कानून की आवश्यकता तब महसूस की गई थी, जब सर्वोच्च न्यायालय ने ‘न्यायमूर्ति
  • के-एस- पुट्टास्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारतीय संघ’ वाद में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित किया था।
  • अपने निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने एक डेटा संरक्षण कानून बनाने का आ“वान किया था, जो उपयोगकर्त्ताओं के व्यक्तिगत डेटा की गोपनीयता को प्रभावी ढंग से सुरक्षित कर सके।
  • परिणामस्वरूप, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक मजबूत डेटा संरक्षण कानून के मसौदे पर सुझाव देने के लिये न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी-एन- श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया।