सूचना तकनीक अधिनियम, 2000

संयुक्त राष्ट्र संकल्प के बाद भारत ने मई 2000 में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 पारित कर दिया और 17 अक्टूबर, 2000 को अधिसूचना जारी कर इसे लागू कर दिया। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 को सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम, 2008 के माध्यम से काफी संशोधित किया गया है, जिसे 23 दिसम्बर को भारतीय संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 निम्नलिखित मुद्दों को संबोधित करता है-

  • इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को कानूनी मान्यता
  • डिजिटल हस्ताक्षर को कानूनी मान्यता
  • अपराध और उल्लंघन
  • साइबर अपराधों के लिए न्याय व्यवस्था

सूचना तकनीक कानून, 2000 के अंतर्गत साइबर स्पेस में क्षेत्रधिकार संबंधी प्रावधान

  • कंप्यूटर संसाधनों से छेड़छाड़ की कोशिश - धारा 65
  • कंप्यूटर में संग्रहित डेटा के साथ छेड़छाड़ कर उसे हैक करने की कोशिश - धारा 66
  • संवाद सेवाओं के माध्यम से प्रतिबंधित सूचनाएं भेजने के लिए दंड का प्रावधान - धारा 66ए
  • कंप्यूटर या अन्य किसी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से चोरी की गई सूचनाओं को गलत तरीके से हासिल करने के लिए दंड का प्रावधान - धारा 66बी
  • किसी की पहचान चोरी करने के लिए दंड का प्रावधान - धारा 66सी
  • अपनी पहचान छुपाकर कंप्यूटर की मदद से किसी के व्यक्तिगत डेटा तक पहुंच बनाने के लिए दंड का प्रावधान - धारा 66डी
  • किसी की निजता भंग करने के लिए दंड का प्रावधान - धारा 66इ
  • साइबर आतंकवाद के लिए दंड का प्रावधान - धारा 66एफ
  • आपत्तिजनक सूचनाओं के प्रकाशन से जुड़े प्रावधान - धारा 67
  • इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से सेक्स या अश्लील सूचनाओं को प्रकाशित या प्रसारित करने के लिए दंड का प्रावधान - धारा 67ए
  • इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से ऐसी आपत्तिजनक सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण, जिसमें बच्चों को अश्लील अवस्था में दिखाया गया हो - धारा 67बी
  • मध्यस्थों द्वारा सूचनाओं को बाधित करने या रोकने के लिए दंड का प्रावधान - धारा 67सी
  • सुरक्षित कंप्यूटर तक अनाधिकार पहुंच बनाने से संबंधित प्रावधान - धारा 70