चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021

दिसम्बर 2021 में लोकसभा में चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया गया। यह विधेयक मतदाता सूची डेटा और मतदाता पहचान पत्र को आधार पारिस्थितिकी तंत्र से जोड़ने का प्रयास करता है।

विधेयक की मुख्य विशेषताएँ: निर्वाचक नामावली का ‘डी-डुप्लीकेशन’: यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23 में संशोधन का प्रावधान करता है, जिससे मतदाता सूची डेटा को आधार पारिस्थितिकी तंत्र से जोड़ा जा सके।

  • इसका उद्देश्य विभिन्न स्थानों पर एक ही व्यक्ति के एकाधिक नामांकन को रोकना है। इससे फर्जी वोटिंग आैर फर्जी मतों को रोकने में मदद मिलेगी। यह लिंकिंग विभाग से संबंधित व्यक्तिगत, लोक शिकायत और कानून तथा न्याय पर संसदीय स्थायी समिति की 105वीं रिपोर्ट के अनुरूप है।

मल्टीपल क्वालिफाइंग डेट्सः नागरिकों को 18 वर्ष कि आयु में वोटिंग का अधिकार मिल जाता है। हालांकि 18 वर्ष की आयु के बाद भी कई लोग मतदाता सूची से बाहर रह जाते हैं। ऐसा इसलिये है क्योंकि 1 जनवरी को क्वालीफाइंग तारीख के रूप में माना जाता है।

  • विधेयक के अनुसार, वोटिंग रोल को अपडेट करने के लिये चार क्वालिफाइंग तारीखों की घोषणा की जाएगी, जिसमें जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के महीनों के पहले दिन 18 वर्ष के हो चुके लोगों को शामिल किया जाएगा।

लैंगिक तटस्थता लानाः ‘सेवा मतदाताओं की पत्नियों’ के पंजीकरण की भाषा को अब ‘जीवन साथी’ से बदल दिया जाएगा। यह कानूनों को और अधिक ‘लिंग-तटस्थ’ बना देगा।

  • सेवा मतदाता वे हैं जो सशस्त्र बलों में सेवारत हैं या इसके बाहर राज्य के सशस्त्र पुलिस बल में सेवारत हैं या भारत के बाहर तैनात सरकारी कर्मचारी हैं।