पेगासस जासूसी मामला पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

अक्टूबर, 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले में स्वतंत्र जांच का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में विशेषज्ञों की एक समिति गठित की है, जो सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच करेगी।

  • इस मामले में इसकी जांच की जाएगी कि निजता के अधिकार का हनन हुआ है या नहीं। तीन सदस्यों की इस समिति का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस आरवी रवींद्रन करेंगे। इसके अलावा समिति में आलोक जोशी और संदीप ओबेराय भी होंगे।
  • पीठ ने कहा कि याचिकाओं में निजता के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन जैसे आरोप लगाए गए हैं, जिनकी जांच करने की जरूरत है।
  • ये याचिकाएं इजराइल के स्पाइवेयर ‘पेगासस’ के जरिए सरकारी एजेंसियों द्वारा नागरिकों, राजनेताओं और पत्रकारों की कथित तौर पर जासूसी कराए जाने की खबरों की स्वतंत्र जांच के अनुरोध से जुड़ी हैं। केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए मामले पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से इनकार कर दिया था।
  • पेगासस जासूसी मामला पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि हम सूचना क्रांति के युग में जी रहे हैं। व्यक्ति का समस्त जीवन क्लाउड स्टोरेज या किसी डिजिटल फाइल में सुरक्षित रखे जा सकते हैं। हमें समझना होगा कि तकनीक जहां जीवन सुधार रही है, हमारी निजता भी भंग कर सकती है।
  • केवल पत्रकार या सामाजिक कार्यकर्ता ही नहीं, एक लोकतांत्रिक सभ्य समाज के सभी सदस्य निजता अक्षुण्ण रखना चाहते हैं। इसी के बल पर हम विकल्प चुनने की क्षमता व स्वतंत्रता का उपयोग कर सकते हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिका व इंग्लैंड में निजता अधिकारों का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां इसे लोगों के बजाय संपत्ति केंद्रित रखा गया। ऐतिहासिक सेमेन केस में कहा गया ‘हर व्यक्ति का घर उसका किला है।’ इसी के बल पर लोगों की गैर-कानूनी तलाशी रोकने का कानून बना।