आईटी एक्ट की धारा 66ए

जुलाई, 2021 में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, (Information Technology Act), 2000 की धारा 66। के इस्तेमाल पर केंद्र को नोटिस जारी किया है, जिसे कई वर्ष पहले खत्म कर दिया गया था।

  • वर्ष 2015 में न्यायालय ने श्रेया सिंघल मामले में दिये गए अपने निर्णय में आईटी एक्ट के प्रावधानों को असंवैधानिक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करार दिया।
  • आईटी अधिनियम, 2000 इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से लेन-देन को कानूनी मान्यता प्रदान करता है, जिसे ई-कॉमर्स (e-commerce) भी कहा जाता है। यह अधिनियम साइबर अपराध के विभिन्न रूपों पर जुर्माना/दंड भी आरोपित करता है।
  • इसने पुलिस को इस संदर्भ में गिरफ्तारी करने का अधिकार दिया कि पुलिसकर्मी अपने विवेक से ‘आक्रामक’ या ‘खतरनाक’ या बाधा, असुविधा आदि को परिभाषित कर सकते हैं।
  • इसमें कंप्यूटर या किसी अन्य संचार उपकरण जैसे- मोबाइल फोन या टैबलेट के माध्यम से संदेश भेजने पर सजा को निर्धारित किया है, जिसमें दोषी को अधिकतम तीन वर्ष की जेल हो सकती है।
  • धारा 66A संविधान के अनुच्छेद 19 (भाषण की स्वतंत्रता) और 21 (जीवन का अधिकार) दोनों के विपरीत थी।
  • सूचना का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) द्वारा प्रदान किये गए भाषण और अभिव्यक्ति के अधिकार के अंतर्गत आता है।