सोवियत संघ के प्रभुत्व ने इस क्षेत्र का गौरव कम कर दिया था परन्तु 1991 में सोवियत संघ के विघटन के पश्चात कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान का क्षेत्र संपर्क, और आर्थिक सम्बन्धों के विस्तार के साथ नए युग में प्रवेश किया तथा ऊर्जा और क्नेक्टिविटी जैसी सुविधा के कारण यह क्षेत्र भारत के लिए काफी महत्व रखा है