मध्य एशिया की सामरिक स्थिति

सोवियत संघ के प्रभुत्व ने इस क्षेत्र का गौरव कम कर दिया था परन्तु 1991 में सोवियत संघ के विघटन के पश्चात कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान का क्षेत्र संपर्क, और आर्थिक सम्बन्धों के विस्तार के साथ नए युग में प्रवेश किया तथा ऊर्जा और क्नेक्टिविटी जैसी सुविधा के कारण यह क्षेत्र भारत के लिए काफी महत्व रखा है

  • भारत, मध्य एशिया को अपने ‘विस्तारित पड़ोस’ का हिस्सा मानता है। पिछले कुछ वर्षों से भारत और पांच मध्य एशियाई देशों के बीच सक्रिय संपर्क बना हुआ है तथा लोगों से लोगों के बीच संपर्क, व्यापार और व्यवसाय के संदर्भ में, दोनों क्षेत्रों में दो सहस्राब्दियों से अधिक मजबूत सांस्कृतिक संबंध रहे हैं।
  • ‘कनेक्ट सेंट्रल एशिया’ नीति एक व्यापक पहल है जिसमें राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग शामिल है।
  • भारत को शंघाई सहयोग संगठन (SCO), यूरेशियन आर्थिक समुदाय (EEC) और अन्य जैसे मौजूदा मंचों का उपयोग करके मध्य एशियाई देशों के साथ बहुपक्षीय जुड़ाव बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।