भारत - मध्य एशिया प्रमुख मुद्दे

कनेक्ट सेंट्रल एशिया नीतिः भारत ने इस नीति का प्रतिपादन 2012 में किया था जिसमें राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक पक्ष शामिल था। इस नीति के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, सूचना प्रोद्यौगिकी, चिकित्सा, संयुक्त वाणिज्य उद्यम, हवाई संपर्क में सुधार, संयुक्त वैज्ञानिक अनुसन्धान और रक्षा और सुरक्षा मामलों में रणनीतिक साझेदारी जैसे मुद्दों पर काम करने की परिकल्पना की गई है।

अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC): भारत, ईरान और रूस ने अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) नामक संपर्क पहल की शुरुआत की थी, जो अफगानिस्तान, अजरबैजान, मध्य एशिया और कई यूरोपीय देशों के बीच माल ढुलाई की लागत और समय को कम करने में मदद करेगा। यह उत्तर में मास्को से दक्षिण में मुंबई तक को सड़क, रेल और समुद्र से जोड़ने वाला 7200 किमी लम्बा मल्टीमॉडल परिवहन मार्ग है। यह भारत ईरान रूस और अजरबैजान का एक संयुक्त उद्यम है जो सड़क, रेल और जहाज से मध्य एशिया को जोड़ेगा

चाबहार बंदरगाहः भारत द्वारा ईरान में चाबहार बंदरगाह का विकास किया गया जो मध्य एशिया तक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है।

अश्गाबात समझौताः अश्गाबात समझौते का उद्देश्य मध्य एशियाई गणराज्यों और ईरानी तथा ओमानी बंदरगाहों के बीच व्यापार मार्ग विकसित करना था। भारत, मध्य एशिया के साथ अपने कनेक्टिविटी विकल्पों में विविधता लाने के लिए 2018 में अश्गाबात समझौते में शामिल हुआ।

ऊर्जा सुरक्षाः मध्य एशियाई क्षेत्र ऊर्जा संसाधनों में समृद्ध है, इन देशों में तेल, कोयला, यूरेनियम और प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार हैं। कजाकिस्तान यूरेनियम का सबसे बड़ा उत्पादक है। उज्बेकिस्तान में गैस, यूरेनियम एवं सोने के बड़े भंडार हैं। तुर्कमेनिस्तान- अफगानिस्तान- पाकिस्तान-भारत (TAPI) गैस पाइपलाइन परियोजना तुर्कमेनिस्तान से भारत में प्राकृतिक गैस के परिवहन के लिए लॉन्च की गई थी। हालांकि, पाकिस्तान से समर्थन की कमी के कारण 2006 से इसे रोक दिया गया है।