सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना

भारत सरकार ने 30 अगस्त, 2021 को भारतीय रिजर्व बैंक की सलाह से 2021-22 के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना (Sovereign Gold Bond scheme) की छठी श्रेणी की शुरुआत की। यह योजना पहली बार 2015 में स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (Gold Monetisation Scheme) के नाम से शुरू की गयी थी।

प्रमुख विशेषताएं

  • इस बांड की अवधि 8 वर्ष होगी और 5वें वर्ष के बाद योजना से बाहर निकलने का विकल्प होगा। सोने में निवेश की न्यूनतम सीमा 1 ग्राम है, जबकि अधिकतम सीमा व्यक्तिगत निवेश के लिए 4 किलोग्राम हिन्दुओं के संयुक्त परिवारों (HUF's) के लिए 4 किलोग्राम तथा ट्रस्ट जैसी इकाइयों के लिए 20 किलोग्राम रखी गयी है।
  • यह बांड व्यक्तियों संयुक्त हिन्दू परिवारों, ट्रस्ट विश्वविद्यालयों और धर्मार्थ संस्थानों सहित निवासी भारतीय संस्थाओं को बिक्री के लिए उपलब्ध रहेगा।
  • बांड किसी मित्र/रिश्तेदार या किसी भी व्यक्ति को उपहार स्वरूप या सामान्य रूप से स्थानांतरित किये जा सकते हैं। बांड हस्तानांतरण के संबंध में, सरकारी प्रतिभूति अधिनियम 2006 (Government Securities Act 2006) तथा सरकारी प्रतिभूति विनियम 2007 (Government Security Regulation 2007) के नियम लागू होंगे।

योजना के उद्देश्य

  • इस योजना का उद्देश्य भारत की स्वर्ण आयात पर निर्भरता को कम करना है। भारत के लोगों की निवेश की आदतों को बदलना है, ताकि वे सोने के बजाय अन्य क्षेत्रों में निवेश करें।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड

  • सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सरकारी प्रतिभूतियां हैं, जो सोने के ग्राम में अंकित है और भारत सरकार की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किये जाते हैं।
  • परिपक्वता अवधि पूरा होने पर इन्हें नकद में बदला जा सकता है। ये बांड भौतिक रूप से सोने का विकल्प होते हैं।
  • सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, बैंकों, नामित डाकघरों और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के माध्यम से बेचे जाते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक भारत सरकार की ओर से ऐसे बांड जारी करता है।