एससीओ राष्ट्राध्यक्षों की परिषद् की बैठक

भारत शंघाई सहयोग संगठन के रूप में सकारात्मक, प्रभावी और अग्रणी भूमिका निभाकर, सभी देशों के बीच भागीदारी का विस्तार करना चाहता है। भारत, वर्ष 2005 में इस संगठन का पर्यवेक्षक बना था तथा अपनी सक्रिय भागीदारी और तमाम गतिविधियों में मानवीय पहलुओं को केंद्र में रखकर भारत ने शंघाई सहयोग संगठन के देशों के बीच अधिक व्यापारिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा दिया है। भारत ने इस क्षेत्र में शांति और समृद्धि को भी बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाई है।

एससीओ राष्ट्राध्यक्षों की परिषद् की बैठक

नवंबर, 2021 को एससीओ राष्ट्राध्यक्षों की परिषद् (सीएचजी) की 20वीं बैठक नूर-सुल्तान में कजाकिस्तान की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने किया।

  • मुख्य बिंदुः इस बैठक में संगठन के व्यापार और आर्थिक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित किया गया तथा बैठक के समापन पर एससीओ के शासनाध्यक्षों द्वारा एक संयुक्त विज्ञप्ति और अन्य निर्णयों को स्वीकार किया गया।
  • भारत ने जलवायु परिवर्तन, सुरक्षा, व्यापार और संस्कृति के क्षेत्रों में बहुपक्षीय सहयोग को गहरा करने की प्रतिबद्धता को दोहराया।
  • भारत द्वारा मौजूदा कोविड-19 महामारी के प्रभाव से उत्पन्न चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया गया और उन्हें कम करने तथा वर्तमान वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए सशक्त बहुपक्षवाद की आवश्यकता पर जोर दिया।
  • भारत, शंघाई सहयोग संगठन का पूर्ण सदस्य वर्ष 2017 में बना था, अतः यह उपलब्धि भारत के निम्नलिखित सामरिक हितों को पूर्ण करती है-
शंघाई सहयोग संगठन के क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना ने क्षेत्रीय आतंकवाद, अलगाववाद तथा कट्टरपन से निपटने में सहायक सिद्ध हुआ है। यह भारत की क्षेत्रीय सम्पर्कता को बढ़ावा देता है तथा भारत की लंबित ऊर्जा परियोजना जैसे तापी, ईरान पकिस्तान, इंडिया पाइपलाइन, तथा सेंट्रल एशिया, साउथ एशिया विद्युत परियोजना जो पकिस्तान के कारण रुकी पड़ी हुई है, उसे आरम्भ करने का अवसर खुला है।