शंघाई सहयोग संगठन और भारत के साथ संबंध

शंघाई सहयोग संगठन 15 जून, 2001 में स्थापित एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है, जो कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस तथा तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान द्वारा स्थापित किया गया था। इसका मुख्यालय चीन के बीजिंग में है। यह एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है।

  • इसकी स्थापना नस्लीय एवं धार्मिक चरमपंथ से निपटने, आतंकवाद से मुकाबला करने तथा व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने हेतु किया गया था। वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान को इस संगठन के स्थायी सदस्य के रूप में दर्जा प्रदान किया गया।
  • संगठन का उद्देश्यः यह संगठन सदस्य देशों के मध्य सहयोग एवं सुरक्षा को बढ़ावा देने के साथ-साथ नशीलें पदार्थों की तस्करी के संबंध में सहयोग प्रदान करता है, साथ ही आतंकवाद की रोकथाम और परस्पर सैन्य सहयोग स्थापित करते हुए साइबर सुरक्षा के खतरे से निपटता है। इस संगठन में शामिल देशों की आबादी दुनिया की आबादी का 42% तथा विश्व जीडीपी का 20% है।

भारत को SCO से प्राप्त लाभ

यह संगठन भारत के लिए वैश्विक स्तर तथा मध्य एशिया के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत आतंकवाद, साइबर हमलों और नशीले पदार्थों की तस्करी के साथ-साथ चीन-पाकिस्तान के सीमा विवाद का सामना करने के साथ मध्य एशिया में सम्पर्क बढ़ाने और ऊर्जा सुरक्षा पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है।

  • भारत के लिए इसका महत्व मुख्यतः दो प्रकार से जिसमें आतंकवाद से निपटने और मध्य एशिया में व्यापार तथा अन्य कार्यों हेतु सीधा सम्पर्क स्थापित करने में मदद कर सकता है।
  • आतंकवाद को कम करने में SCO की आतंकवाद विरोधी निकाय (क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना) द्वारा प्रदान की जाने वाली खुफिया जानकारी महत्वपूर्ण है।
  • चीन, रूस जैसे विश्व के बड़ी शक्तियों वाले संगठन में शामिल होने से भारत का अंतरराष्ट्रीय महत्व बढ़ेगा।
  • मध्य एशिया में प्राकृतिक गैस तेल के समृद्ध भंडार हैं तथा भारत के लिए क्षेत्र ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • शंघाई सहयोग संगठन, भारत को ज्।च्प् परियोजना, अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर, चाबहार बंदरगाह तथा अश्गावात समझौते को सम्पन्न करने तथा क्षेत्रीय सम्पर्क को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
  • भारत के लिए एससीओ की सदस्यता क्षेत्रीय एकीकरण, सीमाओं के पार सम्पर्क एवं स्थिरता को बढ़ावा देने में सहायता प्रदान कर सकता है।
  • भारत कनेक्ट सेन्ट्रल एशिया नीति जो 4C – Commerce, Consular, Connectivity और Community पर आधारित है, के द्वारा मध्य एशिया में अपना व्यापार बढ़ाएगा।
  • यह नीति किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान जैसे पांच देशों पर केन्द्रित है।
  • एससीओ मंच के माध्यम से भारत क्षेत्रीय स्तर पर चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ अपने सुरक्षा हितों को रचनात्मक रूप से संतुलित कर सकता है।
  • अफगानिस्तान में तेजी से बदलती स्थिति को स्थायित्व प्रदान करने के लिए एससीओ एक वैकल्पिक क्षेत्रीय मंच के रूप में कार्य कर सकता है। एससीओ के माध्यम से भारत, मध्य-एशियाई देशों के साथ संबंधों को नई दिशा दे सकता है।