अनुच्छेद 21A के अनुसरण में, संसद ने बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 अधिनियमित किया।
इस अधिनियम के अंतर्गत यह व्यवस्था की गई कि 14 वर्ष की आयु तक के प्रत्येक बच्चे को संतोषजनक एवं समुचित गुणवत्ता वाली पूर्णकालिक प्रारंभिक शिक्षा एक ऐसे औपचारिक विद्यालय, जिसमें कि अनिवार्य परिपाटियों एवं मानकों का पालन किया जाता हो, में प्राप्त करने का अधिकार है।
अधिनियम, 2009 की विशेषताएँ: RTE अधिनियम का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है।
अधिनियम की धारा 12(1)(C) में कहा गया है कि गैर-अल्पसंख्यक निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित पृष्ठभूमि के बच्चों के लिये प्रवेश स्तर ग्रेड में कम-से-कम 25% सीटें आरक्षित करें।
यह विद्यालय न जाने वाले बच्चे के लिये एक उपयुक्त आयु से संबंधित कक्षा में भर्ती करने का प्रावधान करता है।
यह केंद्र और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय एवं अन्य जिम्मेदारियों को साझा करने के बारे में जानकारी देता है।
भारतीय संविधान में शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है और केंद्र व राज्य दोनों इस विषय पर कानून बना सकते हैं।
यह छात्र-शिक्षक अनुपात, भवन और बुनियादी ढांचा, स्कूल-कार्य दिवस, शिक्षकों के लिये कार्यावधि से संबंधित मानदंडों और मानकों का प्रावधान करता है।
इस अधिनियम में गैर-शैक्षणिक कार्यों जैसे-स्थानीय जनगणना, स्थानीय प्राधिकरण, राज्य विधानसभाओं और संसद के चुनावों तथा आपदा राहत के अलावा अन्य कार्यों में शिक्षकों की तैनाती का प्रावधान करता है।
यह अपेक्षित प्रविष्टि और शैक्षणिक योग्यता के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति का प्रावधान करता है।