क्वॉड शिखर सम्मेलन

क्वाड चार देशों- भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का एक संयुक्त समूह है जो एक चतुष्कोणीय सुरक्षा संवाद है। यह एक अनौपचारिक गठबंधन है जिसे हिंद महासागर में सुनामी आपदा के बाद भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने आपदा राहत प्रयासों में सहयोग करने के उद्देश्य से बनाया गया था।

  • वर्ष 2017 में चीन की आक्रामक नीतियों एवं बढ़ते हस्तक्षेप के मद्देनजर इस संगठन के उद्देश्यों का विस्तार करते हुए इसे पुनः सक्रिय स्वरूप प्रदान किया गया। अब इस संगठन का उद्देश्य एक नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का निर्माण करना है।
  • वर्ष 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इस गठबंधन को चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (क्वॉड) के रूप में औपचारिक स्वरूप प्रदान किया। परंतु इस समूह के सदस्यों के मध्य सामंजस्य के अभाव तथा इस पर लगे ‘चीन विरोधी गुट’ के आरोप के कारण यह संगठन लगभग 10 वर्षों (वर्ष 2017) तक निष्क्रिय स्वरूप में रहा।

उद्देश्यः इसका उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और समन्वय स्थापित करना है, संगठन के प्रमुख उद्देश्यों में समुद्री सुरक्षा, कोविड संकट का सामना करना (विशेष रूप से वैक्सीन कूटनीति के संदर्भ में), जलवायु परिवर्तन के जोखिम को कम करना, निवेश में वृद्धि के लिये अनुकूल परिवेश बनाना तथा तकनीक एवं नवाचार को बढ़ावा देना शामिल हैं।

क्वॉड शिखर सम्मेलन

सितंबर 2021 में वॉशिंगटन में पहली बार क्वॉड (QUAD) का ऐसा शिखर सम्मेलन हुआ जिसमें क्वॉड के चारों सदस्य देशों- भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने हिस्सा लिया। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्वॉड को फ्दुनिया की भलाई के लिए काम करने वाली ताकतय् के तौर देखे जाने की आवश्यकता पर बल प्रदान किया था।

नया क्वाड आर्थिक फोरम

भारत, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और संयुक्त राज्य अमेरिका ने अक्टूबर, 2021 में एक ‘नया क्वाड आर्थिक फोरम’ (New quadrilateral economic forum) लॉन्च करने का फैसला किया है, जिसका आर्थिक सहयोग के लिए एक अंतरराष्ट्रीय फोरम स्थापित करना।

  • यह नया क्वाड फोरम अब्राहम समझौते के बाद अमेरिका- इजरायल-यूएई के बीच चल रहे सहयोग और तब से शुरू किए गए भारत-इजरायल-यूएई सहयोग पर आधारित है।
  • 2020 में अब्राहम समझौते के तहत यूएई और इजरायल ने राजनयिक संबंध स्थापित किए थे।
  • नया समूह मध्य पूर्व और एशिया में आर्थिक और राजनीतिक सहयोग का विस्तार करेगा, जिसमें व्यापार, जलवायु परिवर्तन का मुकाबला, ऊर्जा सहयोग और समुद्री सुरक्षा बढ़ाना शामिल है।
  • नया समूह विशेष रूप से ‘परिवहन, प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संयुक्त बुनियादी ढांचा परियोजनाओं’ की संभावनाओं की तलाश करेगा।