शिक्षा में निजी क्षेत्रक भागीदारी

हाल ही में, प्रधानमंत्री ने शिक्षा के क्षेत्र में कुछ योगदान देने के लिए निजी क्षेत्रक से अपील की है। शिक्षा में निजी क्षेत्रक उस समय उपस्थित होता है, जब सरकार के पास सभी को शिक्षा सुलभ कराने के लिए सीमित संसाधन होते हैं।

  • अधिकांश बाजारों में, यह माना जाता है कि निजी क्षेत्रक का उद्देश्य केवल लाभ अर्जित करना होता है।
  • लेकिन, जब शिक्षा की बात आती है, तो निजी क्षेत्रक को नॉट-फॉर प्रॉफिट (लाभ के लिए नहीं) के आधार पर कार्य करने की जरूरत होती है।

भारत की शिक्षा व्यवस्था में निजी क्षेत्रक की भागीदारी की आवश्यकता

  • सरकारी व्यय की पूर्ति करनाः भारत में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 3 शिक्षा क्षेत्रक पर व्यय होता है। हालांकि, कई नीतिगत दस्तावेजों में इस व्यय को GDP का 6 रखना आवश्यक घोषित किया गया है।
  • शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनानाः भिन्न-भिन्न अनुसंधान संस्थानों सहित सरकारी शिक्षा संस्थान कई समस्याओं का सामना कर रहा है। जैसे- शिक्षकों की निम्न गुणवत्ता, शिक्षकों के अनुपस्थित रहने की प्रवृत्ति, निम्नस्तरीय अवसंरचना, अप्रचलित पाठ्यक्रम अनुकूल अभिशासन तंत्र और अनुसंधान के लिए अनुकूल परिवेश का न होना आदि। इन सब कारणों से किसी समस्या का रचनात्मक समाधान तलाशने की संभावना बाधित होती है। इससे, शिक्षा की पूरी गुणवत्ता प्रभावित होती है। इन सबके परिणामस्वरूप सरकारी संस्थानों के भीतर भी निजी क्षेत्रक की भागीदारी की जरूरत अनुभव होती है।
  • उद्योग और शिक्षा जगत के बीच बढ़ते संबंधः तकनीक के क्षेत्र में नवाचार और संवृद्धि को बढ़ावा देने के लिए उद्योग एवं शिक्षा जगत के बीच सहभागिता आवश्यक है।
  • भारत डिजिटलीकरण के युग में प्रवेश कर रहा है। ऐसे में जरूरी है कि भारत के पास प्रौद्योगिकी की जानकार एक ऐसी युवा आबादी हो जो अपने ज्ञान को कृत्रिम बुद्धिमता (।प्) और बिग डेटा जैस महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रयोग कर सके, जिससे स्वास्थ्य और ऊर्जा जैसे प्रमुख उद्योगों की जिन बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, उनका समाधान किया जा सकता है।
  • निजी क्षेत्रक के परोपकारी कार्यों का लाभ उठानाः निजी क्षेत्रक के कल्याणकारी कार्यों से न केवल वित्तीय संसाधन उपलब्ध होंगे, बल्कि शिक्षा प्रणाली के लिए व्यापक दर्शन और मिशन के रूप में भी मदद मिल सकती है। उच्चतर शिक्षा में नई सोच उत्पन्न करके, निजी क्षेत्रक के परोपकारी लोग सकारात्मक तौर पर उच्चतर शिक्षा के भविष्य को बेहतर बना सकते हैं।

शिक्षा में निजी क्षेत्रक की अनुमति

निजी वित्त पहल (PFI): सरकार लंबे समय के लिए अनुबंध कर सकती है। इसमें ऐसे मामले शामिल होते हैं, जिनमें प्रमुख शिक्षा संस्थानों का स्वामित्व अधिकार निजी क्षेत्रक के पास हो।

फ्रैंचइजी के लिए अनुबंधः कुछ विशेष शिक्षा संबंधी परिसंपत्तियों में ही निजी क्षेत्रक को निवेश की अनुमति दी जा सकती है।