राष्ट्रीय ई-शासन योजना

नागरिकों तथा व्यवसायियों को शासकीय सेवाएं प्रदान करने के कार्य में सुधार लाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ई-शासन योजना आरंभ की गयी। इसका उद्देश ‘सभी सरकारी सेवाओं को सार्वजनिक सेवा प्रदाता केन्द्र के माध्यम से आम आदमी तक पहुंचाना और आम आदमी की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने लिए इन सेवाओं में कार्यकुशलता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना।

राष्ट्रीय ई-शासन योजना की क्रियान्वयन रणनीति

  • राष्ट्रीय ई-शासन योजना (NeGP) के लिए एक सुगम सोच विकसित गई है जो राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू किये गये ई-शासन अनुप्रयोगों के अनुभवों पर आधारित है। राष्ट्रीय ई-शासन योजना (NeGP) के लिये अपनाये जा रहे तरीके तथा पद्धति में निम्नलिखित तत्व शामिल हैं:
  • सामूहिक ढाँचाः राष्ट्रीय ई-शासन योजना (NeGP) के क्रियान्वयन में सामूहिक तथा सहायक सूचना प्रौद्योगिकी ढांचा तैयार करना शामिल थे जैसे कि- राज्यव्यापी एरिया नेटवर्क, राज्य आंकड़ा केन्द्र, सामूहिक सेवा केन्द्र तथा इलेक्ट्रॉनिक सेवा वितरण गेटवे जो धीरे-धीरे विकसित किये जा रहे हैं।
  • शासनः राष्ट्रीय ई-शासन योजना के क्रियान्वयन की निगरानी तथा समन्वय के लिए सक्षम प्राधिकारी के निर्देश के अंतर्गत उचित प्रबन्ध किये गये हैं। इस कार्यक्रम में मानक तथा नीतिगत मार्गदर्शिकाएं तैयार करना, तकनीकी सहायता देना, क्षमता-निर्माण कार्य, अनुसंधान व विकास शामिल हैं। इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (DeitY) स्वयं तथा नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेन्टर (NIC), स्टैंडर्डाइजेशन, टेस्टिंग एंड क्वालिटी सर्टिफिकेशन (STQC), सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (C-DAC), नेशनल इंस्टीटड्ढूट फॉर स्मार्ट गवर्नेंस (NISG) आदि, जैसे संस्थानों का सशक्तीकरण करेगा ताकि वे इन भूमिकाओं को प्रभावी तरीके से निभा सकें।
  • सामूहिक पहल, विकेन्द्रीकृत क्रियान्वयनः ई-शासन को आवश्यक केन्द्रीय पहल के जरिये बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि विकेन्द्रीकृत मॉडल के क्रियान्वयन में वह नागरिक-केन्द्रित हो, विभिन्न ई-शासन अनुप्रयोगों की परस्पर-संचालकता के उद्देश्य को हासिल कर सके तथा सूचना व संचार प्रौद्योगिकी ढांचे एवं संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनििश्चत हो सके। इसका उद्देश्य यह भी है कि सफलता उन्मुखी परियोजनाओं की पहचान हो सके और जहां भी आवश्यक हो, उन्हें आवश्यक फेरबदल के साथ दोहराया जा सके।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडलः इसे वहां अपनाया जा रहा है जहां भी सुरक्षा पहलुओं की अनदेखी किये बगैर संसाधनों में वृद्धि सम्भव हो।
  • संपूर्णात्मक तत्वः एकीकरण को सुचारू बनाने तथा विरोधाभास से बचने के लिये नागरिकों, व्यवसायियों तथा सम्पत्ति के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन कोड को अपनाकर बढ़ावा दिया जा रहा है।