स्टार्टअप परिभाषा में संशोधन

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (क्च्प्प्ज्) ने ‘स्टार्ट-अप’ की परिभाषा में संशोधन किया है और इसे चरणबद्ध तरीके से संशोधित करने का निर्णय लिया गया है।

सरकार ने परामर्श और अन्य सेवाओं की खरीद प्रक्रिया में स्टार्ट-अप की नई परिभाषा को शामिल किया है।

  • इससे पहले 19 फरवरी, 2019 को ‘स्टार्ट-अप’ की परिभाषा में भी बदलाव किया था इसके अनुसार किसी भी इकाई को निगमन या पंजीकरण की तारीख से 10 साल की अवधि के लिए ‘स्टार्ट-अप’ माना जाएगा और जिसका कारोबार 100 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगा।
  • वित्त मंत्रालय के अनुसार गुणवत्ता और तकनीकी मानकों में कमी नहीं होनी चाहिए।
  • एक इकाई को उसके अस्तित्व के 10 वर्षों तक और 100 करोड़ रुपये तक के कारोबार के लिए ‘स्टार्ट-अप’ के रूप में माना जाएगा। पहले निगमन की अवधि 5 वर्ष थी और कारोबार की सीमा 25 करोड़ रुपये थी।

नई परिभाषा

  • स्टार्ट-अप नवाचार, विकास या उत्पादों या प्रक्रियाओं या सेवाओं के सुधार की दिशा में काम करना चाहिए, या इसमें रोजगार सृजन या धन सृजन की उच्च क्षमता होनी चाहिए
  • स्टार्ट-अप की इससे पहले की परिभाषा यह थी कि ‘नवाचार की दिशा में काम कर रहा हो, व्यावसायीकरण के नए उत्पादों में लगा हो या प्रौद्योगिकी या बौद्धिक संपदा द्वारा संचालित प्रक्रियाओं या सेवाओं’ में शामिल होना चाहिए।