दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार व उत्सव

ओणमः ओणम केरल का सबसे प्राचीन त्योहार है। इस त्योहार में पूरे केरल को फूलों से सजा दिया जाता है। ओणम का उमंग केरल के सभी नागरिकों के द्वारा मनाया जाता है।

ओणम अमूमन फसल से जुड़ा साल में एक बार आने वाला त्योहार है। यह मलयालम माह चिंगोम में मनाया जाता है। ओणम थिरुओनम के भी नाम से जाना जाता है। पुलकम का यह सृजन मंदिरों, घरों, पंडालों में मनाया जाता है। इसी दिन नौका दौड़ जैसे प्रसिद्ध खेलों का आयोजन किया जाता है।

त्रिशुरपुरम् महोत्सवः त्रिशुरपुरम् महोत्सव केरल का 200 वर्ष पुराना महोत्सव है। भगवान शिव के सम्मान में अप्रैल के महीने में प्रसिद्ध मंदिर वडकुकनाथ में मनाया जाता है। केरल में सबसे लंबी पूजा इसी त्योहार के दिन की जाती है।

विष्णु महोत्सवः केरल के प्राचीन त्योहारों में से एक विष्णु महोत्सव आतिशबाजी व रंगमयी प्रदर्शनी के लिए प्रसिद्ध है।

इसे विष्णु त्योहार के भी नाम से जाना जाता है, राज्य के मलयाली आबादी के लिए विष्णु त्योहार नए साल के पर्व के रूप में मनाया जाता है।

पोंगलः पोंगल तमिल हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह प्रति वर्ष 14-15 जनवरी को मनाया जाता है।

इसकी तुलना नवान्न से की जा सकती है, जो फसल की कटाई का उत्सव होता है (शस्योत्सव)। पोंगल का तमिल में अर्थ उफान या विप्लव होता है।

पारम्परिक रूप से ये सम्पन्नता को समर्पित त्योहार है, जिसमें समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप तथा खेतिहर मवेशियों की आराधना की जाती है। इस पर्व का इतिहास कम से कम 1000 साल पुराना है।

  • यह चार दिनों तक चलता है। हर दिन के पोंगल का अलग- अलग नाम होता है।
  • पहली पोंगल को भोगी पोंगल कहा जाता है, जो देवराज इन्द्र का समर्पित है।
  • दूसरी पोंगल को सूर्य पोंगल कहा जाता है। यह भगवान सूर्य को निवेदित होता है।
  • तीसरे पोंगल को मट्टू पोंगल कहा जाता है।
  • चौथी पोंगल को कानुम पोंगल मनाया जाता है, जिसे तिरूवल्लूर के नाम से भी लोग पुकारते हैं।