मुद्रास्फ़ीति लक्ष्यीकरण

केंद्र सरकार तथा भारतीय रिजर्व बैंक के मध्य मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के संबंध में हुए मूल समझौते के समाप्त हो जाने के पश्चात सार्वजनिक क्षेत्र में मौद्रिक नीति के इस पहलू का मूल्यांकन शुरू किया गया। मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण निर्दिष्ट वार्षिक मुद्रास्फीति दर को प्राप्त करने के लिये केंद्रीय बैंक की एक नीति है।

  • यह इस सिद्धांत पर आधारित है कि दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिये मूल्य स्थिरता बनाए रखना आवश्यक है तथा मूल्य स्थिरता मुद्रास्फीति को नियंत्रित करके प्राप्त की जा सकती है।
  • इसे केंद्रीय बैंक के अन्य संभावित नीतिगत लक्ष्यों के अनुरूप निर्धारित किया जा सकता है, जिसमें विनिमय दर बेरोजगारी या राष्ट्रीय आय को लक्षित करना शामिल हैं।
  • केंद्रीय बैंक द्वारा निर्धारित मुद्रास्फीति तथा उसके निकटस्थ लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये ‘कठोर मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण’, जबकि ब्याज दरों में स्थिरता, विनिमय दर, उत्पादन व रोजगार से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिये ‘लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण’ को अपनाया जाता है।
  • लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे को वैधानिक आधार प्रदान करने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन किया गया, जिसके तहत यह प्रावधान किया गया था कि केंद्र सरकार प्रत्येक पांच वर्ष में केंद्रीय बैंक से परामर्श कर मुद्रास्फीति लक्ष्य को निर्धारित करेगी।
  • मूल्य स्थिरता पर लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (FIT) का प्राथमिक ध्यान पूंजी खाते के अधिक उदारीकरण और भारतीय रुपए के संभव अंतरराष्ट्रीयकरण के लिये बेहतर है।