भारत की फि़लिस्तीन नीति

अगस्त, 2021 को भारत की अध्यक्षता में पश्चिम एशिया शांति प्रक्रिया (Middle East Peace Process) पर ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ (UNCS) की बैठक आयोजित की गई। भारत ने इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का समर्थन किया।

मुख्य बिंदुः भारत ने सभी पक्षों से युद्धविराम का सम्मान करने और ऐसे कार्यों से परहेज करने का आह्वान किया जो तनाव को बढ़ा सकते हैं।

  • भारत ने इजराइल के साथ, संप्रभु और स्वतंत्र ‘फिलिस्तीन’ राष्ट्र की स्थापना के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
  • भारत ने पूर्वी येरुशलम और उसके आस-पास के क्षेत्रों में यथास्थिति का सम्मान करने की आवश्यकता को रेखांकित किया और सभी पक्षों को एकतरफा कार्रवाइयों से दूर रहने का भी आग्रह किया। हिंसा, द्वि-राष्ट्र समाधान (two-State solution) की व्यवहार्यता को कमजोर करती है।
  • ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ की बैठक में ‘अफगानिस्तान’ का मुद्दा भी उठाया गया। बैठक में, तालिबान से नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी संबंधी मांग करते हुए एक ‘मसौदा प्रस्ताव’ पारित किया गया।

भारत की फि़लिस्तीन नीति

प्रारंभिक चरणः भारत ने वर्ष 1947 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन में इजरायल के निर्माण के विरुद्ध मतदान किया था।

  • शीत युद्ध के दौरान इजरायली अधिग्रहण के विरुद्ध भारत ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानदंडों के अनुरूप फिलिस्तीन को अपना नैतिक और कानूनी समर्थन प्रदान किया था, साथ ही वह फिलिस्तीनी स्वतंत्रता का दृढ समर्थक बना रहा था।
  • 1967 में छह दिवसीय युद्ध के पश्चात जा इजरायल ने फिलिस्तीन की लगभग 78% क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था तब भारत ने सीमा पर आध्ाारित एक स्वतंत्र संप्रभु फिलिस्तीन राज्य के निर्माण का समर्थन किया था।
  • भारत ने पूर्वी येरुशलम को उसकी राजधानी के रूप में स्वीकार किया था तथा भारत ने दो राज्य की समाधान नीति का समर्थन करता है।
  • वर्ष 1991 के मैड्रिड सम्मलेन और सोवियत संघ के विघटन तथा वैश्विक व्यवस्था में परिवर्तन के उपरान्त भारत ने वर्ष 1992 में इजरायल के साथ पूर्ण राजनयिक सम्बन्ध की स्थापना की, परन्तु इसके बाजजूद वह फिलिस्तीन का समर्थक बना रहा।

वर्तमान चरणः वर्ष 2017 में भारत की नीति में कुछ परिवर्तन हुआ है। इस दौरान भारत ने पूर्वी येरुशलम और वर्ष 1967 की सीमा का संदर्भ देना छोड़ दिया।

  • वर्ष 2018 में भारत ने डी-हाईफनेशन (Dehyphenation) की नीति को अपनाया है। यह नीति एक संतुलन पर आधरित नीति है। जिसके तहत भारत पहले चार दशकों के लिये स्पष्ट रूप से फिलिस्तीन समर्थक होने से लेकर बाद के तीन दशक में इजरायल के साथ अपने मैत्रीपूर्ण संबंधों की स्थापना वाली रही है। जिसमें भारत स्थिति की मांग के अनुसार एक तरफ से दूसरी तरफ जा रहा है।
  • इस नीति के तहत इजरायल के साथ भारत के स्वतंत्र सम्बन्ध हैं। साथ ही भारत को अपने हितों के आधार पर इन संबंधों को बनाये रखने का अधिकार प्राप्त है तथा वह फिलिस्तीनियों के साथ भारत के सम्बन्धों से भिन्न होंगे।
  • इजरायल और फिलिस्तिन के बीच हालिया हिंसा के उपरान्त संयुक्त राष्ट्र में भारत ने न्यायपूर्ण फिलिस्तीनी हित और द्विराष्ट्र समाधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और समर्थन को दोहराया है।