इजरायल फि़लिस्तीन संघर्ष का इतिहास

19वीं सदी का अंतः विश्व भर में राष्ट्रवाद जायोनीवाद के उदय ने यहूदियों को फिलिस्तान वापस आने का मौका प्रदान किया।

वर्ष 1917: इस वर्ष बेल्फोर घोषणा घोषणा पात्र जारी किया गया, जिसमें फिलिस्तीन के लिए ब्रिटिश मैंडेट का गठन किया गया था। बेलफोर डिक्लेरेशन ही वह प्रमुख वजह थी, जिसने इस्राइल और फिलिस्तीन मतभेद को जन्म दिया।

वर्ष 1941-1945 का दौरः इस दौरान हिटलर के शासन के अंतर्गत पूरे यूरोप में भयंकर स्तर पर यहूदियों का नरसंहार हुआ। यूरोप में रह रहे यहूदियों को महसूस हुआ कि फिलिस्तीन के अलावा कहीं कोई दूसरी जगह नहीं जहां यहूदी सुरक्षित रह सकें। तथा पृथक यहूदी देश की मांग की जाने लगी

वर्ष 1947: इस दौरान संयुक्त राष्ट्र का इस मुद्दे में हस्तक्षेप हुआ तथा दो नए राज्यों के रूप में इजरायल और फिलिस्तीन का गठन हुआ तथा 14 मई, 1948 को इजरायल द्वारा स्वंत्रता की घोषण की गई।

प्रथम अरब इजरायल युद्धः नवनिर्मित इस्राइल के पड़ोसी देशों (इजिप्ट, सीरिया, इराक और जॉर्डन) ने उस पर हमला बोल दिया। इस युद्ध में इस्राइल ने अपना बचाव करते हुए इन चारों देशों को हरा दिया। इस लड़ाई के बाद जॉर्डन के पास फिलिस्तीन के पूरे वेस्ट बैंक का नियंत्रण आ गया। इसके पश्चात 1964 में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन का गठन हुआ

छह दिवसीय युद्धः वर्ष 1967 में इजरायल ने वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी समेत फिलिस्तीन के कुछ क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। अरब इस्राइल युद्ध के बाद इजिप्ट, सीरीया और जॉर्डन ने 1967 में फिर से इस्राइल पर हमला करने की योजना बनाते हैं। उनके इस हमले से पहले ही इस्राइल ने इन तीनों देशों पर हमला बोल दिया। हमले में तीनों देशों को काफी नुकसान पहुंचा।

इस युद्ध में इस्राइल ने सीरीया से गोलन हाइट, इजिप्ट से गाजा स्ट्रिप एवं सिनाई पेनीसुला और जॉर्डन से वेस्ट बैंक छीन लिया। बाद में कुछ अंतरराष्ट्रीय समझौतों के कारण इस्राइल को सिनाई पेनीसुला इजिप्ट को वापस करना पड़ा। उधर दूसरी तरफ इस्राइल के पास पूरा फिलिस्तीन कब्जे में था तथा इसी दौरान हमास का गठन हुआ

ओसलो एकोर्ड समझौता 1993: देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए 1993 में ओसलो एकोर्ड समझौता हुआ था। इसमें यह निर्णय लिया गया कि फिलिस्तीन, इस्त्रइल को एक अंतरराष्ट्रीय देश के रूप में स्वीकार करेगा तथा फिलिस्तीन सरकार वेस्ट बैंक और गाजा स्ट्रिप को लोकतांत्रिक ढंग से नियंत्रित करेगी।

वहीं दूसरी ओर इस्राइल ने पीएलओ को फिलिस्तीनी लोगों का प्रतिनिधि माना।

  • यह है कि समझौता पांच साल के लिए किया गया था। इसके बाद दोबारा शांति समझौते के लिए कैम्प डेविड-II, 2000 में इस्राइल और फिलिस्तीन एक मंच पर आए। दोनों देशों के बीच इस समझौते में कोई खास सहमति नहीं बन पाई। इसके चलते यह शांति समझौता टूट गया। तब से लेकर आज तक दोनों देशों के बीच किसी मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई है।

प्रमुख समझौता

  • कैंप डेविड (1978-1979): अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने कैंप डेविड में मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात और इजराइल के प्रधानमंत्री मेनाकेम बिगिन की मेजबानी की। बातचीत के बाद, मिस्र और इजराइल ने एक शांति संधि पर हस्ताक्षर किए।
  • ओस्लो समझौते (1993): नॉर्वे में आयोजित गुप्त इजराइल-फिलिस्तीनी वार्ता के परिणामस्वरूप ओस्लो समझौते हुए, जो वेस्ट बैंक और गाजा से चरणबद्ध रूप में इजराइली सैनिकों की वापसी और फिलिस्तीनी स्व-स्वशासन पर बल देते हैं।
  • इजराइल और जॉर्डन शांति संधिः वर्ष 1994 में अमेरिका ने इजराइल और जॉर्डन के बीच एक शांति संधि की मध्यस्थता की।
  • कैंप डेविड (2000): इजराइल के प्रधानमंत्री एहुद बराक और फिलिस्तीन के यासिर अराफात ने कैंप डेविड शिखर सम्मेलन में भाग लिया। क्लिंटन ने इजराइल के साथ शांति से रहने वाले एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य के लिए मापदंडों की घोषणा की।
  • अब्राहम समझौता (2020): इस समझौते के माध्यम से यूएई और बहरीन द्वारा इजराइल में अपने दूतावास स्थापित किये जाने की बात की गई। इसके साथ ही पर्यटन, व्यापार, स्वास्थ्य और सुरक्षा सहित कई क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई।