भारत के प्रयास

दक्षिण एशिया में इस महाद्वीप के उप क्षेत्र में हिमालय श्रेणी और हिन्द महासागर तथा गंगा और सिन्धु नदी घाटियों के बीच स्थित देश जिसमें मुख्य रूप से नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, भारत, अफगानिस्तान, म्यांमार, मालदीव और पाकिस्तान को शामिल किया जाता है।

यह क्षेत्र में विश्व की एक चौथाई जनसंख्या निवास करती है तथा यह क्षेत्र विश्व का प्रमुख ऊर्जा उपभोत्तफ़ा देश है जहां अगले तीन दशकों में 40% वर्तमान मांग से वृद्धि होने की सम्भावना है।

  • दक्षिण एशियाई देशों की कुल जनसंख्या 1.9 बिलियन तथा इन देशों की जी.डी.पी. 12 ट्रिलियन डॉलर है, जो आसियान देशों से कहीं अधिक है।

दक्षिण एशिया की आर्थिक कूटनीति

यह वस्तुतः देशों के मध्य परस्पर सम्बन्धों के सतत संचालन में आर्थिक साधनों के उपयोग को चिह्नित करता है जिसके प्रमुख उद्देश्य है-

  • इस क्षेत्र के एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में भारत की पहचान स्थापित करना।
  • ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करना।
  • निर्यात तथा विदेशों में भारतीय व्यवसायों को बढ़ावा देना
  • भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा देकर विदेशी संसाधनों तक उसकी पहुंच स्थापित करना।
  • द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय व्यापार और आर्थिक वार्ता को आगे बढ़ाना।

भारत के प्रयास

  • भारत दक्षिण एशिया में अवसंरचना के निर्माण के द्वारा एक संप्रभु, लोकतान्त्रिक, शांतिपूर्ण और स्थिर तथा समृद्ध और समावेशी विचार के तहत पड़ोसी देशों की सहायता कर रहा है। इसके तहत अफगानिस्तान में सलमाबांध, मैत्री बांध का पुनर्निर्माण, जारंज - डेलाराम सड़क के माध्यम से अफगानिस्तान के गारलैंड राजमार्ग तक पहुंच स्थापित कर रह है।
  • भारत नेबरहुड पॉलिसी के जरिए इस क्षेत्र में शांति और संपर्कता तथा आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा दे रहा है।
  • भारत सार्क देशों के लिए कोविड 19 आपातकालीन कोष की स्थापना का अगुआ रहा है।
  • भारत रूस के सहयोग से बांग्लादेश में रूपपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना का निर्माण कर रहा है।

चुनौतियाँ

  • भारत का दक्षिण एशिया देशों के साथ व्यापार का असंतुलन होना।
  • दक्षिण एशिया का अंतर क्षेत्रीय व्यपार वैश्विक स्तर पर सबसे कम होना।
  • व्यापारिक संरक्षणवाद होना।
  • अवसंरचना संबंधी परियोजनाओं का आपूर्ति सम्बन्धी अभाव के कारण पूर्ण नहीं हो पाना।
  • पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान जैसे देशों में राजनीतिक अस्थिरता तथा नेपाल से हालिया सीमा कालापानी विवाद भारत के लिये चिंता का कारन है।
  • पड़ोशी देशों से प्रायोजित आतंकवाद, सीमापार घुसपैठ तथा तस्करी और संगठित अपराधों को प्रश्रय अन्य चुनौतियों के रूप में मौजूद है।