ऊर्जा क्षमता

दक्षिण एशिया पनबिजली, सौर और कोयला और गैस जैसे जीवाश्म ईंधन के मामले में सम्पन्न क्षेत्र है। नेपाल, भूटान, भारत और पाकिस्तान में पनबिजली की भारी क्षमता है, जबकि बांग्लादेश में गैस का बड़ा भंडार है।

  • विश्व बैंक द्वारा जारी की गई ‘ए ग्लास हाफ फुल’ नामक रिपोर्ट में तथा यूरोपीय संघ तथा एशियाई विकास बैंक के हवाले से बताया गया कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र को आर्थिक एकीकरण के माध्यम से ही आगे बढ़ाया जा सकता है।
  • दक्षिण एशियाई क्षेत्र जल्द ही चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड परियोजना’ का एवं ‘क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी’ (RCEP) का हिस्सा बन सकता है। आर.सी.ई.पी. 15 देशों का समूह है तथा इसकी विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में 30% हिस्सेदारी है।

दक्षेस

  • दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (South Asian Association for Regional Cooperation – SAARC) सार्क
  • स्थापनाः 8 दिसंबर, 1985
  • मुख्यालयः काठमांडू, नेपाल
  • आधिकारिक भाषाः अंग्रेजी
  • प्रथम सम्मेलन- ढाका, बांग्लादेश (1985)
  • 8 सदस्य देश- भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव, भूटान तथा अफगानिस्तान
  • 9 पर्यवेक्षक देश- संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, ईरान, चीन, म्यांमार, मॉरीशस, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया तथा यूरोपियन यूनियन
  • 14वें शिखर सम्मेलन के दौरान ‘अफगानिस्तान’ को इस संगठन का आठवां सदस्य बनाया गया।

दक्षिण एशियाई पहलः हाल ही में, बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कहा कि यदि भारत चाहे तो COVID-19 टीकों और गरीबी उन्मूलन के लिए चीन के नेतृत्व वाली दक्षिण एशियाई पहल में शामिल हो सकता है।

  • यह पहल अपने सामरिक, समुद्री, राजनीतिक और वैचारिक उद्देश्यों को आगे बढ़ाने तथा क्षेत्र में भारत को संतुलित करने के चीन की रणनीति का एक हिस्सा है।
  • चीन, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के विदेश मंत्रियों की अप्रैल में एक बैठक के दौरान चीन-दक्षिण एशियाई देशों के आपातकालीन आपूर्ति रिजर्व के गठन पर सहमति व्यक्त की गई।
  • 8 जुलाई, 2021 को चीन में गरीबी उन्मूलन और सहकारी विकास केंद्र की स्थापना की गई।
  • भारत, भूटान और मालदीव इस पहल का हिस्सा नहीं हैं।

कुछ प्रमुख मुद्दे

  • भारत ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चल रहे तनाव तथा अन्य सीमा विवादों के समाधान के बिना द्विपक्षीय समझौतों में शामिल नहीं होने की बात कही है।
  • भारत, भूटान और मालदीव के अलावा सभी सार्क सदस्य देशों के इस समूह में शामिल होने पर कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि यह एक प्रकार से ‘माइनस इंडिया’ पहल है।
  • यह चीन अपने नेतृत्व में, अमेरिका के नेतृत्व वाले क्वॉड (जिसमें भारत एक सक्रिय सदस्य है) का मुकाबला करने के लिए, उत्तरी हिमालयी क्वॉड बनाने की पहल का रूप हो सकता है।
  • यह पहल दक्षिण एशिया तथा सार्क क्षेत्र में भारत की भूमिका को कम करने की चीन की योजना का हिस्सा हो सकता है।
  • इस पहल के माध्यम से चीन दक्षिण एशिया में प्रवेश करने का प्रयास कर रहा है।

आगे की राह

भारत दक्षिण एशिया में सीमावर्ती क्षेत्रों में सीमाओं के सीमांकन की समस्या के समाधान हेतु एक सीमा आयोग की स्थापना करके भारत को सीमा संबंधी मुद्दों के समाधान का प्रयास कर सकता है।