टाटा ट्रस्ट्स द्वारा जनवरी, 2021 में जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 (India Justice Report 2020) में न्याय वितरण के मामले में महाराष्ट्र को शीर्ष स्थान प्रदान किया गया है।
प्रमुख तथ्यः द इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (IJR) टाटा ट्रस्ट्स की एक पहल है, जिसे सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव, दक्ष (DAKSH), विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी, हाउ इंडिया लाइव्स तथा टाटा इंस्टिटड्ढूट ऑफ सोशल साइंसेज के प्रयास (TISS-Praysa) नामक संगठन के सहयोग से तैयार किया गया है।
न्यायपालिकाः न्यायपालिका के संदर्भ में शीर्ष बड़े और मध्यम आकार के राज्यों में तमिलनाडु पहले स्थान पर है, जबकि छोटे राज्यों में सिक्किम शीर्ष राज्य है। भारतीय न्यायपालिका में मौजूद कुल न्यायाधीशों में से महिला न्यायाधीशों का हिस्सा केवल 29% है।
कानूनी सहायताः रिपोर्ट में कहा गया है कि कानूनी सहायता पर प्रति व्यक्ति खर्च वर्ष 2017-2018 के 75 पैसे से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 1.05 रुपये हो गया है। कानूनी सहायता के संदर्भ में /बड़े और मध्यम आकार के राज्यों में महाराष्ट्र शीर्ष स्थान पर तथा छोटे राज्यों में गोवा शीर्ष राज्य है।
समग्र रैंकिंग में शीर्ष 5 बड़े और मध्यम आकार के राज्य
रैंक |
राज्य |
1. |
महाराष्ट्र |
2. |
तमिलनाडु |
3. |
तेलंगाना |
4. |
पंजाब |
5. |
केरल |
निःशुल्क विधिक सहायता सेवाओं का अनुभवजन्य विश्लेषण
जुलाई 2019 में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय दिल्ली द्वारा विधिक प्रतिनिधित्व की गुणवत्ता भारत में निःशुल्क विधिक सहायता सेवाओं का अनुभवजन्य विश्लेषण नामक एक रिपोर्ट जारी की। निःशुल्क विधिक सेवा के माध्यम से उन लोगों को विधिक सहायता प्रदान की जाती है, जो अपने लिए दीवानी एवं आपराधिक मामलों के लिए एक वकील की सेवाओं और न्यायिक प्रक्रिया की लागत का वहन करने में असक्षम होते हैं।
भारत में निःशुल्क विधिक सहायता अथवा निःशुल्क विधिक सेवाओं का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मूल अधिकार है। सरकार ने 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 के तहत संविधान में अनुच्छेद 39A को अंतःस्थापित किया गया था, जो राज्य को उपयुक्त कानून, योजनाओं अथवा किसी अन्य विकल्प के द्वारा निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करने हेतु निर्देशित है।