रेलवे में निजी भागीदारी में वृद्धि

रेलवे के क्षेत्र में यात्री रेलगाड़ी के परिचालन में सार्वजानिक निजी भागीदारी को बढ़ने की दिशा में सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है।

कारणः रेलवे की बढती हुई मांग को पूरा करना क्योंकि अनुमानतः 2050 तक कुल वैश्विक रेल संचालन में भारत का हिस्सा लगभग 40% का जायेगा।

  • रेलवे प्रणाली में लगभग 30000 करोड़ के निवेश का लक्ष्य को पूरा करना।
  • राकेश मोहन समिति द्वारा भारतीय रेलवे में अल्प निवेश, संसाधनों के अकुशल आवंटन, बढ़ता ऋण, निम्न स्तरीय ग्राहक सेवा तथा खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए इसके समाधान हेतु रेलवे में सार्वजानिक निजी भागीदारी बढ़ने की सिफारिश की थी।
  • रेलवे के माल ढुलाई में गिरावट आना जो 1950-51 में 86-2% थी जो वर्ष 2020 में घटकर केवल 18% रह गया है। रेलवे को रेलवे टिकटों का किराया, लागत से कम होने और यात्रियों को मिलने वाले छुट के कारण होने वाला घाटा का होना।
  • इन सबके साथ-साथ रेलवे पर स्थायी समिति जो वर्ष 2016 में गठित हुई थी, के अनुसार रेलवे में अल्प निवेश के कारण अधिक रेल दुर्घटना हुई है इसलिए निजीकरण से निवेश को बढ़ावा देकर इसे कम करने में मदद प्राप्त होगी, साथ ही सार्वजानिक निजी भागीदारी को बढ़ावा देकर रेलवे में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जा सकेगा।