विश्व आर्थिक मंच द्वारा हाल ही में वैश्विक जोखिम रिपोर्ट- 2022 जारी की गई।
यह रिपोर्ट का 17वां संस्करण है। इसमें व्यक्तिगत और सामूहिक उन्नति में बाधक अल्पकालिक जोखिमों की पहचान की गई है।
रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन को पुनः वैश्विक जोखिम के मुख्य कारण के रूप में देखा गया है।
जोखिम के अन्य कारकों के रूप में जल संकट, देशों के मध्य संघर्ष, महामारी के पश्चात् वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति, सामाजिक सामंजस्य का क्षरण, आजीविका संकट तथा मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट इत्यादि की पहचान की गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, युवा विघटन, वैश्विक स्तर पर मौजूदा आर्थिक, राजनीतिक एवं सामाजिक संरचनाओं में विश्वास की कमी, सामाजिक स्थिरता, व्यक्तिगत कल्याण और आर्थिक उत्पादकता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
भारत के संदर्भ में अंतर्राज्यीय संबंधों में कमी, ऋण संकट, युवाओं में व्यापक निराशा, तकनीकी शासन की विफलता तथा डिजिटल असमानता शीर्ष जोखिमों में शामिल हैं।
जोखिम विशेषज्ञों के अनुसार अगले तीन वर्षों में वैश्विक सुधार अस्थिर और असमान होगा।