हाल ही में, गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र पर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध भारत ने सख्त विरोध दर्ज किया है।
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने गिलगित-बाल्टिस्तान आदेश, 2018 में संशोधन करने हेतु संघीय सरकार की याचिका को स्वीकृती प्रदान की।
अन्य संबंधित तथ्य
यह संघीय सरकार को गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में एक कार्यवाहक सरकार गठित करने और प्रांतीय विधानसभा चुनाव कराने की अनुमति प्रदान करता है।
भारत ने दावा किया है कि गिलगित एवं बाल्टिस्तान के क्षेत्रों सहित संपूर्ण जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र, फ्भारत के अभिन्न अंगय् हैं।
भारत के वर्ष 1994 के संसदीय संकल्प द्वारा यह पुनः अभिपुष्ट किया गया कि यह क्षेत्र फ्जम्मू और कश्मीर राज्य का एक हिस्सा है और वर्ष 1947 में भारत द्वारा इस राज्य के अधिग्रहण के आधार पर भारत का अभिन्न अंग हैय्।
गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र का महत्व
बृहत् क्षेत्रः गिलगित बाल्टिस्तान का क्षेत्र पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से पांच गुना से भी अधिक है। इसमें नृजातीय-भौगोलिक रूप से दो भिन्न क्षेत्र शामिल हैं यथाः बाल्टिस्तान (जो लद्दाख का हिस्सा था) और गिलगित।
रणनीतिक अवस्थितिः गिलगित बाल्टिस्तान भारतीय उपमहाद्वीप, मध्य एशिया और चीन के प्रतिच्छेदन बिंदु (पदजमतेमबजपवद) पर स्थित है।
जल और ऊर्जा सुरक्षाः गिलगित बाल्टिस्तान अपने जल और ऊर्जा संसाधनों के कारण भी महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान में प्रवेश
करने से पूर्व, सिंधु नदी गिलगित बाल्टिस्तान से ही होकर प्रवाहित होती है।
सियाचिन ग्लेशियर जैसे सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण चीन का गलियारा गिलगित बाल्टिस्तान से होकर गुजरना है, जो चीन द्वारा प्रायोजित बहुराष्ट्रीय परिवहन और बुनियादी अवसंरचना संबंधी गलियारा परियोजनाओं में शामिल होने के लिए भारत की अनिच्छा में वृद्धि करता है।
गिलगित बाल्टिस्तान
यह क्षेत्र जम्मू और कश्मीर की पूर्ववर्ती रियासत का एक हिस्सा था, जो कबायली लड़ाकों और पाकिस्तान सेना द्वारा कश्मीर पर आक्रमण के पश्चात् 4 नवंबर, 1947 से पाकिस्तान के नियंत्रण में है।
इसका नाम परिवर्तित कर ‘पाकिस्तान का उत्तरी क्षेत्र’ कर दिया और वर्ष 1949 के कराची समझौते के माध्यम से
इस पर पाकिस्तान की संघीय सरकार का प्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित हो गया।
वर्ष 2009 में गिलगित बाल्टिस्तान सशक्तीकरण और स्वशासन आदेश के पश्चात्, ‘उत्तरी क्षेत्रों’ को गिलगित-बाल्टिस्तान के रूप में जाना जाने लगा। इसकी एक विधान-सभा और एक परिषद भी है।
वर्ष 2009 के आदेश को गिलगित-बाल्टिस्तान आदेश, 2018 से प्रतिस्थापित कर दिया गया।
वर्ष 2018 के आदेश का उद्देश्य गिलगित बाल्टिस्तान को पाकिस्तान के पांचवें प्रांत के रूप में शामिल करना और गिलगित बाल्टिस्तान को विधायी, न्यायिक तथा प्रशासनिक उपायों द्वारा पाकिस्तान के शेष संघीय ढांचे के साथ एकीकृत करना है।
हालांकि, वर्ष 2018 का आदेश गिलगित बाल्टिस्तान के लोगों को केवल सीमित मूल अधिकार प्रदान करता है और इसके द्वारा इस क्षेत्र को कोई संवैधानिक दर्जा भी प्रदत्त नहीं है।