कार्य और उद्देश्य

इस्लामिक सहयोग संगठन (Organisation of Islamic Cooperation-OIC) की स्थापना 1969 को रबात में हुई थी।

  • इस्लामिक सहयोग संगठन, एक अंतरराष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन (Inter-governmental Organization-IGO) संगठन है। वर्तमान में इस्लामिक सहयोग संगठन में 57 सदस्य देश हैं। इसमें अधिकतर देश मुस्लिम हैं। इसका उद्देश्य दुनिया के विभिन्न देशों के लोगों के बीच अंतरराष्ट्रीय शांति और सद्भाव को बढ़ावा देना और साथ ही दुनिया के मुस्लिम समुदायों के हितों की रक्षा और संरक्षण का प्रयास करना है।

कार्य और उद्देश्य

  • सदस्य देश के मध्य विवादों और युद्धों को सुलझाना।
  • संगठन के उद्देश्यों के खिलाफ जाने पर उनकी सदस्यता निलंबित करना जैसे- मिस्र, जो स्वयं एक सदस्य है, ने इजराइल के साथ एक शांति संधि कर ली। फलस्वरूप उसे वर्ष 1979 में संगठन से निलंबित कर दिया गया था, लेकिन पुनः वर्ष 1984 में संगठन में वापस स्थान दे दिया गया। दुनिया के मुस्लिम समुदायों के हितों की रक्षा और संरक्षण हेतु कार्य करना।
  • सदस्य देशों के मध्य आर्थिक सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में इस्लामिक एकजुटता को प्रोत्साहन देना।
  • न्याय पर आधारित अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के विकास के लिये आवश्यक कदम उठाना तथा धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के प्रयासों में समन्वय स्थापित करना; जैसे- फिलिस्तीन संघर्ष को समर्थन देना तथा उनके अधिकारों और जमीनों की वापसी में उन्हें सहायता प्रदान करना।

इस्लामिक सहयोग संगठन और भारत

पिछले कुछ वर्षों में भारत ने लगातार इस्लामिक देशों खासकर सऊदी अरब, ओमान, कतर और UAE के साथ अपने संबंधों में सुधार किया है। यदि भारत इस संगठन में शामिल होता है तो उसकी पश्चिम एशिया में पकड़ मजबूत होगी।

  • बांग्लादेश द्वारा भारत में 10% से ज्यादा मुस्लिम आबादी के आधार इस संगठन में पर्यवेक्षक (Observer) के तौर पर शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया है, लेकिन पाकिस्तान ने इसका विरोध किया है। भारत को OIC ने भारत को गेस्ट ऑफ ऑनर का दर्जा दिया है जो भारत के बढ़ते सामरिक और आर्थिक शक्ति का परियाचक अब भारत अपने इस मंच का प्रयोग पाकिस्तान की कश्मीर विरोधी नीति तथा प्रयोजीत आतंकवाद को विश्व के सामने लाने में कर सकता है।

कश्मीर कांटेक्ट ग्रुपः OIC संगठन के सभी 57 सदस्य मुस्लिम देशों का एक ‘कश्मीर कॉन्टेक्ट ग्रुप है और इस ग्रुप पर पूरी तरह से पाकिस्तान का कब्जा है तथा यह भारत के कश्मीर नीति पर पाकिस्तान का समर्थन करता है जबकि पाकिस्तान के प्रायोजित आतंकवाद पर खुलकर अपना मत प्रकट नहीं कर पाता है।

  • इस ग्रुप द्वारा एक प्रस्ताव पारित कर यह कहा गया है कि जम्मू कश्मीर, पाकिस्तान और भारत के बीच विवाद का अहम् मुद्दा है और दक्षिण एशिया में शांति स्थापना के लिये इसका हल होना जरुरी है। प्रस्ताव में कश्मीर में कथित मानवाधिकार हनन के मुद्दे पर गहरी चिंता जताई गई और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का कश्मीर विवाद पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् को प्रस्तावों को लागू करने के लिये उनके दायित्व की बात कही गई जबकि भारत ने कहा कि- जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और यह उसका आंतरिक मामला है।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nation) के 76वें सत्र से इतर हुई बैठक में इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के संपर्क समूह ने भारत से जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) का विशेष दर्जा समाप्त करने के फैसले को वापस लेने को कहा।
  • जबकि भारत ने ओआईसी से कहा है कि वह अपने मंच का इस्तेमाल उसके आंतरिक मामलों में निहित स्वार्थों वाले लोगों को टिप्पणी करने के लिए नहीं करने दे।