मई, 2021 में विशेषज्ञों ने वर्तमान में अपशिष्ट प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय मिशन के रूप में कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया है। विशेषज्ञों ने इसके लिये पांच सूत्रीय कार्य-योजना प्रस्तुत की है, जो इस प्रकार है-
वहनीय तकनीकः सर्वप्रथम नगरपालिकाओं को वहनीय तकनीक तक पहुंच सुनिश्चित करने की आवश्यकता है जो कि भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल हो। वर्तमान में अपशिष्ट प्रबंधन के लिये आवश्यक अधिकांश प्रौद्योगिकी/उपकरण आयातित, महंगे हैं और अक्सर हमारी विभिन्न स्थानीय स्थितियों में अनुकूल नहीं होते हैं। भारत को अपनी जटिल शहरी संरचना के लिये सस्ती, विकेंद्रीकृत, अनुकूलित समाधान की आवश्यकता है। उदाहरण के लिये जल निकायों को साफ करने के लिये रोबोट्स का प्रयोग किया जा सकता है।
त्वरित खरीद प्रक्रियाः अपशिष्ट प्रबंधन में तकनीकी उन्नयन हेतु त्वरित खरीद प्रक्रिया को अपनाने की आवश्यकता है। लंबी प्रशासनिक प्रक्रिया के कारण प्रौद्योगिकी और उपकरणों की खरीद में अत्यधिक समय लग जाता है। बंबई नगरपालिका को ऊर्जा संयंत्र के अपशिष्ट प्रबंधन के लिये आवश्यक उपकरणों की खरीद करने में लगभग सात वर्ष का समय लग गया था।
एकीकृत नीतिः अपशिष्ट प्रबंधन हेतु एक एकीकृत नीति की आवश्यकता है, जिससे अपशिष्ट के विभिन्न प्रकारों का निस्तारण करने में सहूलियत होगी। इसके माध्यम से हजारों एकड़ भूमि लैंडफिल से मुक्त कराई जा सकती है।
कुशल मानव संसाधनः अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्रों के संग्रह, संचालन, रखरखाव और अपशिष्ट प्रबंधन श्रृंखला को संचालित करने तथा बनाए रखने के लिये कुशल और प्रशिक्षित पेशेवर कर्मियों की नियुक्ति पर ध्यान देना होगा।
शून्य अपशिष्ट समाजः भारत पारंपरिक रूप से एक ऐसा समाज है जहां वस्तुओं की बर्बादी बहुत कम है और सब कुछ पुनः उपयोग और पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है। हमें ऐसे समाज के विकास को बढ़ावा देने की जरुरत है।
मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन (FSSM) पर राष्ट्रीय नीति