भारत की नृत्यकला

कत्थकः यह मूलतः उत्तर भारत का शास्त्रीय नृत्य है। कत्थक का अर्थ है - कथा कहने वाला। इस नृत्य में विभिन्न भाव-मुद्राओं और अंग संचालन द्वारा कथा को अभिव्यक्त किया जाता है। इस नृत्य में सभी पग समानान्तर एवं स्वाभाविक होते हैं। कालान्तर में इसकी दो शैलियां विकसित हुईं- राजपूत प्रभावित जयपुर शैली और मुगल प्रभावित लखनऊ शैली। दमयंती जोशी, भारती गुप्ता, कुमुदनी लखिया, गोपी कृष्ण, सितारा देवी, बिरजू महाराज, उमा शर्मा आदि मशहूर नर्तक है।

कथकलीः परम्परा से यह शास्त्रीय नृत्य केरल की योद्धा जनजाति नायर में प्रचलित रहा है। इस नृत्य को पुनप्रतिस्थापित करने का श्रेय बल्लथोस नारायण मेनन को जाता है, जिन्होंने 1930 में केरल कला मंडलम की स्थापना की। कृष्णन कुट्टी, माधवन एवं आनन्द शिवरामन, उदयशंकर, रामगोपाल, शान्ताराव आदि कुशल व चर्चित नर्तक हैं।

ओडिसीः मूलतः ओडिशा का प्राचीन नृत्य ओडिसी देवदासी परम्परा से अनुप्राणित रहा है। इसका प्राचीनतम प्रमाण हाथीगुम्फा लेख से प्राप्त होता है। इसका मूल आधार ड्डोत भरतमुनि का नाट्यशास्त्र, अभिनय चन्द्रिका, अभिनय दर्पण जैसे शास्त्रीय ग्रंथ है। संयुक्ता पाणिग्रही, सोनल मानसिह, मिनाती दास, प्रियंवदा मोहन्ती, मधुमिता राउत आदि प्रसिद्ध नृत्यांगनाएं हैं।

भरतनाट्यमः भरतमुनि के नाट्यशास्त्र से संबद्ध तथा पूर्व में सादिर नाम से अभिहित किया जाने वाला भरतनाट्यम तमिलनाडु राज्य का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है। इस नाट्य नृत्य को दक्षिण के मंदिरों में देवदासी परम्परा का अनुरक्षण प्राप्त रहा। रूक्मिणी देवी के प्रयास से इस नृत्य को अपनी गरिमा के अनुरूप शास्त्रीय नृत्यों के बीच स्थान मिल पाया। इसकी दो उप शैलियां हैं- पंडानल्लुर शैली तथा तंजौर शैली। सम्पूर्ण भरतनाट्यम के सात खंड हैं- अलारिज्पु, जाति स्वर, वर्ण, शब्द, पद, तिल्लाना और श्लोक। यामिनी कृष्णमूर्ति, सोनल मानसिह, पद्मा सुब्रह्मणयम, लीला सैम्सन आदि चर्चित नृत्यांगनाएं हैं।

कुचिपुड़ीः आंध्र प्रदेश राज्य के मूलतः ‘कुचेलपुरम्’ नामक गांव के नाम पर ही इस नृत्य का नाम कुचिपुड़ी पड़ा। इसका उद्देश्य वैदिक एवं उपनिषद के धर्म एवं अध्यात्म का प्रचार करना है। कुचिपुड़ी को उसके वर्तमान स्वरूप में लाने का श्रेय सर्वश्री लक्ष्मी नारायण शास्त्री व वेदानृत्म सत्य नारायण को जाता है। इस नृत्य में लय, ताल एवं भाव का समावेश होता है। चिन्ता कृष्ण मुरली, वेमपत्ती सत्यनारायण, यामिनी कृष्णमूर्ति, राजा एवं राधा रेड्डी प्रसिद्ध नर्तक हैं।

मणिपुरीः इस शास्त्रीय नृत्य का मूलाधार मणिपुर का प्राचीन जनजातीय नृत्य है, लेकिन वैष्णव धर्म की विषय वस्तु का अवलंबन लेकर यह शास्त्रीय परंपरा के रंग में रंग गया। यह नृत्य शैली भक्ति तथा त्याग पर विशेष बल देती है। इस नृत्य में मानसिक एवं शारीरिक भावों को मुख-मुद्रा तथा भाव-भंगिमाओं द्वारा संगीत के स्वर ताल पर प्रस्तुत किया जाता है। इसमें अंग संचालन के दो रूप हैं- तांडव तथा लास्य। झावेरी बहनें, रीता देवी, सविता मेहता, निर्मला मेहता एवं थम्बल यैमा प्रसिद्ध नर्तकी हैं।

मोहिनीअट्टमः यह नृत्य केरल से संबंधित है। वैष्णव भक्त परम्परा से अनुप्राणित इस नृत्य की चर्चा ‘व्यवहार माला’ नामक ग्रंथ में है। इस नृत्य को प्रतिष्ठित करने का श्रेय केरल कला मंडलम को है। इसका स्वरूप एकल होता है। इसकी प्रमुख नृत्यांगना भारती शिवाजी हैं।

विभिन्न राज्यों के लोक नृत्य

  • उत्तर प्रदेशः रासलीला, नौटंकी, करन, कजरी, थाली, झोरा, जाद्दा, जैता, छपेली, विदेशीया।
  • मध्य प्रदेशः दीवाली, चैत, रीना, पंडवानी, छेरिया, गौडो, त्याड़ी, सैला, हुल्को भगोरिया, मुंदड़ी आदि।
  • राजस्थानः राउफ, हिकात, पनिहारी, बगारिया, घपाल, शंकरिया, कठपुतली, खयाल, झूलन लीला, कामड़, गनगौर, जिंदाद तेरह-ताली, धूमर।
  • बिहारः घुमकड़िया, कीर्तनियां, जट-जटिन, पंवारिया, सोहराई, सामा चकेवा, जात्र, जाया माधी, बखों-बखाहन, डांगा, चेकवा, झींका, छाऊ आदि।
  • छत्तीसगढ़ः सुआ, करमा, रहस, राउत, सरहुल, बार, नाचा, घसिया, बाजा, पंथी, पण्डवानी।
  • उत्तरांचलः कुमायूं नृत्य, चौफुला, जागर, चाचरी।
  • झारखंडः सरहुल, अहंदी, कर्मा, जदुर गैमा मागा, छऊ।
  • उड़ीसाः चंगुनाट, गरुड़वाहन, डंडानट, पैका, आया, संचार, जदूर, मुदरी, सवारी, छऊ।
  • गुजरातः झकोलिया, गरबा, पाणिहारी, लास्या, रासलीला, डांडियारास, टिप्पनी, दीपक, गणपति भजन।
  • महाराष्ट्रः गोधलगीत, बोहदा, तमाशा, लावनी, पोवाड़ा, दहिकला, कोली, गोरीचर, मौनी गणेश चतुर्थी, लीजम।
  • पंजाब-हरियाणाः कीकली, गिद्धा, भांगड़ा आदि।
  • जम्मू-कश्मीरः चाकरी, राउफ, हिकत, भारवगीत आदि।
  • पश्चिम बंगालः काठी, गंभीरा, जाया, बाउल, राम भेसे, जात्र आदि।
  • तमिलनाडुः कुंभी, कावड़ी, कोलाट्टम, करागम।
  • कर्नाटकः भूतकोला, यक्षगान, वीरगास्से आदि।
  • केरलः भद्रकली, पादयानी, थुलाल, कैकुट्टी- कलाई, टप्पात्रिकोली, कुटीअट्टम, कालीअट्टम, मोहनी अट्टम आदि।
  • हिमाचल प्रदेशः चंबा, छपेली, डांगी, सांगला, डंडानाच, महाथू जद्दा, झैन्ता, थाली, धमानडफ छरबा आदि।
  • मणिपुरः थांगटा, की तलम, संकीर्तन, लाईट्टरीबा नृत्य, बसंतरास, राखाल।
  • मिजोरमः पाखुलिया नृत्य, चेरोकान आदि।
  • मेघालयः बांग्ला।
  • नागालैंडः नूरालिम, कुमीनागा, लिम, रेंगमानाग, चोंग, युद्ध नृत्य, खैवा आदि।
  • लक्षद्वीपः परिचाकाली।
  • आंध्र प्रदेशः बतकंभा, कुम्मी, घंटा, मरदाला, छड़ी नृत्य, माधुरी आदि।
  • अरुणाचल प्रदेशः मुखौटा, युद्धनृत्य आदि।
  • असमः राखल लीला, ढोल नृत्य, खेल गोपाल, कलिगोपाल, बिहू, महारास, बोई साजू, तबल चौगरी, झुमुरा, खेल चौगंबी, होब्जानाई, बगुरूम्बा, नागा नृत्य, नटपूजा आदि।