केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार कुल उत्पन्न अपशिष्ट में से भारत ने वर्ष 2018-2019 में केवल 10% और वर्ष 2017-18 में केवल 3.5% ई-अपशिष्ट का संग्रहण किया है।
इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट का तात्पर्य सभी प्रकार के इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तथा उनके पार्ट्स से है, जिन्हें इनके मालिकों द्वारा पुनः उपयोग के प्रयोजन के बिना अपशिष्ट के रूप में परित्यक्त कर दिया जाता है।
इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के विद्युत या बैट्री आपूर्ति वाले सर्किट या इलेक्ट्रिकल पार्ट्स शामिल है।
ग्लोबल ई.- वेस्ट मोनिटर रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर वर्ष 2019 में लगभग 53.6 मिलियन टन ई. अपशिष्ट उत्पन्न हुआ है। यह प्रति व्यक्ति द्वारा औसत 7.3 कि.ग्रा. ई-अपशिष्ट उत्पन्न करने के बराबर है। वर्ष 2019 में एशिया द्वारा विश्व में सबसे अधिक मात्र में (24-9 मीट्रिक टन) ई-अपशिष्ट उत्पन्न किया गया। इसके पश्चात् अमेरिका (13.1 मीट्रिक टन) और यूरोप (12 मीट्रिक टन) का स्थान है।
ग्लोबल ई-वेस्ट मोनिटर 2020 रिपोर्ट के अनुसार, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ई-अपशिष्ट उत्पन्न करने वाला देश भारत है।